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शनिवार, जनवरी 12, 2019

कुमारसैन में ‘मंथन’ ने लिखी शब्द सृजन की ऐतिहासिक इबारत

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 कुमारसैन में मंथनने लिखी शब्द सृजन की ऐतिहासिक इबारत*

एस आर हरनौट ने ज्योति जला किया आगाज

बाली ने किया बेहतरीन मंच संचालन

साहित्यिक रूप से लगभग शांत पड़ी कुमारसैन की फ़िजाओं ने उस वक्त नई हवाओं की खुशबू का एहसास किया जब दुनिया के शोर-शराबे से दूर आइ टी आई के भव्य भवन के सुंदर सभागार में साहित्य मंच मंथनने अपनी पहली साहित्य गोष्ठि का आयोजन कर क्षेत्र में शब्द सृजन की एक नई इबारत लिखी। 18 दिसंबर 2018 को 25 कवियों व 100 से अधिक सुधि ग्रामीण श्रोताओं की 250 से ज्यादा निगाहों ने मशहूर लेखक एस आर हरनौट व मंथनसदस्यों के हाथों मां सरस्वती के चरणों में साहित्य की लौ जला कर मंथनका शुभारम्भ किया। मालूम नहीं उन्हें बीज़ हैं लफ़्ज़ मेरे, नव सृजन का ऐलान करते हैं।मंच संचालक लेखक जगदीश बाली के इन्हीं शब्दों के साथ काव्य पाठ का आगाज़ हुआ। मशहूर लेखक हरनौट जी की टीम, जो "हिमालय साहित्य संस्कृति मंच" व 'हिमवाणी संस्था' के साहित्यकारों से लवरेज़ है, ने मंथनके साथ मिल कर अपनी 'आम जन तक साहित्य 2018 को यादगार विराम दिया और इस तरह मंथनका शानदार आगाज़ हुआ। कवियों की शालीनता और स्तर हर किसी के दिल में उतर गए जो एक साहित्यकार के आदर्श व्यक्तित्व की वानगी है।

सर्वप्रथम प्रतिभा मेहता ने अपनी गज़ल हंस के हर ज़ख्म पिए जाते हैंको तरन्नुम में प्रस्तुत कर एक बढ़िया शुरुआत की। युवा कवयित्री शिल्पा ने अपनी कविता बादल ने दी जीवन जीने कि प्रेरणाने सबको प्रभावित किया। कुलदीप गर्ग तरुण के शेरों ने भी अंतर्मन को छुआ। इसी बीच कवियों के बीच होती हल्की-फ़ुल्की टिका टीप्पणियों व नौक-झौंक से सभागार ठहाकों से भी गूंजता रहा। पूजा शर्मा की कविता वर्षों बाद मिल गया पुराना दोस्त था मेराव वंदना राणा की इधर भी हैं मज़बूरियां गीत क्या गाने लगा है शहरवर्तमान माहौल पर करारा कटाक्ष था। अपने चिर-परिचित हास्यपूर्ण आंदाज़ में नरेश देवग ने जहां नौजवानों को सुसंस्कृत व नशे से दूर रहने की सलाह दी, वहीं नव वर्ष पर उनकी कविता ने श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मज़बूर कर दिया। उन्होंने तरन्नुम में नेताओं पर भी तंज़ कसे। मंथनमंच के संयोजक हतिंदर शर्मा ने मां जीना सिखा दियाऔर निरुत्साहित नहीं निष्फ़ल हूंजैसी छोटी छोटी रुहानी कविताओं से सबके दिलों को छुआ। मंच प्रचारक व स्थानीय युवा कवि दीपक भारद्वाज ने जाड़े की धूपकविता से काफ़ी असर छोड़ा। पत्थर तोड़ती औरतकविता संग्रह के लेखक मनोज चौहान ने अपनी कविता से सबको आकर्षित किया। प्रसिद्ध कवि आत्मा रंजन की यूं आए नया सालसबको भा गई। मोनिका छटू की कविता दुखमें चौसर का खेल काफ़ी गहराई लिए हुए लगा। मंथनके सलाहाकार अमृत कुमार शर्मा ने कविता मैं लिखूंगा किताब जब तब देखनाके माध्यम से राजनीतिज्ञ व अफ़सरशाही पर व्यंग्य साधा। मंथनके सचेतक रौशन जसवाल की कविता मैं बच्चा बनना चाहता हूंभी बहुत सराही गई। गुपतेश्वर उपाध्याय के संक्षिप्त काव्यपाठ ने सब के मन को छू लिया। उमा ठाकुर ने पहाड़ी भाषा में अपने कविता पाठ से स्थानीय उत्सवों, रीति-रिवाजों व पकवानों से अवगत करवाया। रीतिका और ज्ञानी शर्मा ने पहाड़ी झूरियों से गोष्ठि को नया आयाम दिया। मंथनके सदस्य ताजी राम वनों की हरयाली पर कविता से सबको प्रभावित किया। युवा कवयित्री कल्पना गांगटा की कविताओं ने युवाओं को समाज के लिए कुछ करने का संदेश दिया। डॉ. स्वाती शर्मा ने अपनी कविता के माध्यम से नारी की व्यथा को दर्शाया तथा युवा कवि राहुल बाली ने अपनी कविता हम अकेले थेसे बहुत प्रभाव छोड़ा। लगभग साड़े चार घंटे तक चली इस गोष्ठि में मंच संचालन भी उत्कृष्ठ रहा। संचालक ने अपने शेर-गज़लों, क्षणिकाओं, हाज़िर जवाबी व ठिठोली से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। वास्तव में मंथनका ये पहला कार्यक्रम पहला होते हुए भी सबके दिल में उतर गया। इस बीच गिरिराज से आए विशाल हृदय कवि अश्वनी की कविता कहीं रह गई। परंतु मंथन के सदस्यों से गले मिल कर उन्होंने सबका दिल जीत लिया। भविष्य जब कुमरसैन के इतिहास के पन्नों को पलटेगा, इसके एक पन्ने पर ये भी लिखा होगा कि 18 दिसंबर 2018 को मंथनने हिमालय साहित्य संस्कृति मंचव हिमवाणि मंच के साथ मिलकर साहित्य की लौ जला कर एक शब्द सृजन की इबारत लिखी थी। इस इबारत लिखने में आई टी आई के प्रधानाचार्य हितेश शर्मा, उनके स्टाफ व छात्रों के योगदान को मंथनहमेशा याद रखेगा।

 

मंगलवार, जुलाई 08, 2014

श्रीखंड यात्रा 2014

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हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के आनी उपमंडल में 18 हज़ार की ऊंचाई पर स्थित है श्रीखंड महादेव ! श्रीखंड की यात्रा की प्रतीक्षा हर वर्ष की तरह इस बार 15 जुलाई से आरम्भ हो रही है !  जुलाई और अगस्त माह में ही होती है क्योंकि शेष दिनों यहाँ बर्फ पड़ी रहती है ! 

गुरुवार, अक्तूबर 03, 2013

हिमाचल का पहला लघुकथाकार सम्मेलन

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हिम साहित्यकार सहकार सभा पंजीकृत  प्रदेश कार्यालय   मिश्रा भवन रौड़ा सेक्टर बिलासपुर 174001


हिम साहित्यकार सहकार सभा द्वारा आगामी 28 नवंबर 2013 को हिमाचल प्रदेश के दिल बिलासपुर के नगर परिषद सभागार में हिमाचल का पहला लघुकथाकार सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं लघुकथा के सशक्त हस्ताक्षर कमलेश भारतीय होंगे।इसके अलावा हरियाणा और उत्तराखंड से भी जाने माने लघुकथाकार विशिष्ट अतिथि के रूप में पधार रहे हैं। इस सम्मेलन में आजकल लिखी जा रही लघुकथा पर विशेष चर्चा होगी और लघुकथा पाठ भी करवाया जाएगा। सम्मेलन में एक अद्वितीय स्मारिका का प्रकाशन भी किया जा रहा है
आपसे आग्रह है कि आप अपनी बेहतरीन पांच लघुकथाओं का सैट और अपने आने की पूर्व सूचना उपरोक्त पते पर दिनांक 15 अक्तूबर 2013 तक भिजवाएं ताकि उचित व्यवस्था की जा सके और चयनित लघुकथा को स्मारिका में प्रकाशित किया जा सके।

 
    अरूण डोगरा रीतू                      रतन चंद निर्झर
    प्रदेश महासचिव                प्रदेश अध्यक्ष
   98572 17200                                              94597 73121

रविवार, सितंबर 29, 2013

22वाँ अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन

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   पंजाबी त्रैमासिक ‘मिन्नी’ तथा  श्री गुरू रामदास कॉलेज ऑफ नर्सिंग, पंधेर (अमृतसर) के संयुक्त तत्वावधान में दिनांकः 19 अक्तूबर, 2013 (शनिवार)  स्थानः श्री गुरू रामदास कॉलेज ऑफ नर्सिंग, पंधेर (अमृतसर)
22वाँ अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन
                                      कार्यक्रम
प्रथम सत्र : 4.00 बजे बाद दोपहर:  विचार-चर्चा, पुस्तक विमोचन, सम्मान एवम् पुरस्कार
अध्यक्षता: सर्वश्री डॉ. जोगेंद्रजीत सिंह (उप-मंडल मैजिस्ट्रेट, बटाला) डॉ. सुखदेव सिंह खहिरा, भगीरथ,    रामेश्वर काम्बोज हिमाँशु, डॉ. बलराम अग्रवाल, सुरिंदर कैले

आलेख  : * मिन्नी कहाणी के चार दशक: रूपक पक्ष में हुआ विकास (पंजाबी में) :
डॉ. अनूप सिंह
 * मिन्नी कहाणी के चार दशक: विषयगत विस्तार एवं संभावनाएँ (पंजाबी में) :
डॉ. कुलदीप सिंह दीप
 * पंजाबी लघुकथा के विकास में पत्रिका ‘मिन्नी’ का योगदान (पंजाबी में) : 
जगदीश राय कुलरियाँ

 चर्चाकार : सुकेश साहनी, निरंजन बोहा, सुभाष नीरव, डॉ.रूप देवगुण, राम कुमार आत्रेय, डॉ. नायब सिंह मंडेर,

विमोचन : * मिन्नी कहानी दे चार दहाके : सं. दीप्ति, अग्रवाल, नूर       
            * रिश्तिआँ दी नींह : जगदीश राय कुलरियाँ
          * सन 47 तों बाद : बिक्रमजीत नूर 
         * मेरी सरघी : हरजिंदर कौर कंग                                                             * पत्रिका ‘मिन्नी’ का अंक-101 : सं. दीप्ति, अग्रवाल, नूर
          * पंजाबी मिन्नी कहाणी: विधागत सरूप ते शिल्प विधान : निरंजन बोहा
         
सम्मान :  * श्री गुरमीत हेयर स्मृति सम्मान : श्री हमदर्दवीर नौशहरवी
           * किरन अग्रवाल स्मृति सम्मान : डॉ. कर्मजीत सिंह नडाला                     * प्रिंसिपल भगत सिंह सेखों स्मृति सम्मान : श्री प्रीत नीतपुर
     * मिन्नी कहाणी लेखक मंच, अमृतसर की ओर से लघुकथा प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार
        
द्वितीय सत्र: रात्रि 8.30 बजे:  जुगनुआँ दे अंगसंग’ (‘मिन्नी’ का तिमाही आयोजन)
   उपस्थित हिंदी-पंजाबी लेखकों/लेखिकाओं द्वारा लघुकथा-पाठ एवं प्रत्येक रचना पर विचार-चर्चा
                     इस सुअवसर पर आप सादर आमंत्रित हैं।                            
                                       विनीतः


डॉ. श्याम सुन्दर दीप्ति               डॉ. अनूप सिंह              प्रिं. हरजिंदर कौर कंग  
(09815808506)                     हरभजन खेमकरनी               09501725553                                       
श्याम सुन्दर अग्रवाल                       डॉ. शील कौशिक                      अवतार सिंह
बिक्रमजीत नूर                            डॉ. सुखदेव सिंह सेखों                   हरपाल सिंह नागरा




आवश्यक सूचनाः आयोजन स्थल अमृतसर-फतेहगढ़ चूड़ियाँ रोड पर अमृतसर से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर है। बाहर से आने वाले लेखकों को आयोजन स्थल पर ले जाने हेतु कॉलेज की बस अमृतसर बस स्टैंड से 3.00 बजे रवाना होगी। शनिवार रात्रि को भोजन एवम् आवास की व्यवस्था आयोजन स्थल पर ही रहेगी। कभी भी आवश्यकता पड़ने पर सम्पर्क करें: डॉ. श्याम सुन्दर दीप्ति (मोब-09815808506), श्याम सुन्दर अग्रवाल (09888536437), प्रिं. हरजिंदर कौर कंग (09501725553)

शुक्रवार, जुलाई 27, 2012

लोक गायिका गंभरी देवी को टैगोर सम्मान

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खाणा-पीणा नंद लेणी ओ गंभरीए’ गीत की धुनों पर नृत्य व गायकी से दर्शकों को झुमाने वाली हिमाचल की प्रख्यात लोक गायिका गंभरी देवी को राष्ट्रीय अकादमी द्वारा वर्ष 2011-12 का टैगोर सम्मान प्रदान किया गया है। उन्हें यह सम्मान हिमाचल के लोक संगीत में दिए गए अतुल्य योगदान के लिए दिया गया है। राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी की ओर से रवींद्रनाथ ठाकुर की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर 50 टैगोर सम्मान घोषित किए गए । इनके लिए विभिन्न प्रदेशों से ऐसे कलाकारों के नाम कृतित्व विवरण सहित मंगवाए गए थेजिनकी आयु 75 वर्ष से अधिक हो। 50 टैगोर सम्मानों में से लोक संगीत की विद्या में देश के 13 कलाकारों को यह पुरस्कार दिया गया है,  जिनमें हिमाचल की कोकिला गंभरी देवी भी शामिल है। इस सम्मान में उन्हें एक लाख रुपएताम्रपत्र व अंग वस्त्र दिया गया है। लोक गायिका गंभरी देवी के गीत आज भी हिमाचलवासियों की जुबान पर गूंजते हैं। प्रदेश का हर संगीत प्रेमी उनकी मखमली आवाज का कायल है। 91 वर्षीय हिमाचली लोक गायिका का खुद ही गीत रचती है। खुद ही उसकी धुन बनाती हैं और उस पर नृत्य करती हैं। उनकी इस प्रतिभा को देखते हुए उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया है। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के सचिव डा. तुलसी रमण ने कहा कि लोक गायिका गंभरी को यह पुरस्कार मिलना हिमाचल प्रदेश के लिए गौरव की बात है। टैगोर सम्मान पिछले दिनों कोलकाता तथा चेन्नई में आयोजित समारोह में दिए गए हैंलेकिन किन्ही कारणों से गम्भरी देवी वहां नहीं पहुंच सकी थीं। इसी कारण संगीत नाटक अकादमी की ओर से जारी पत्र सहित यह पुरस्कार हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के पास दस्ती भेजा गया हैजो पुरस्कार जल्द ही लोक गायिका गम्भरी देवी को प्रदान किया जाएगा।  हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की ओर से भी उन्हें लोक संगीत के लिए वर्ष 2001 का हिमाचल अकादमी कला सम्मान’ प्रदान किया गया था।

गुरुवार, जुलाई 12, 2012

श्रीखंड यात्रा 2012

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श्रीखंड यात्रा इस बार 16 जुलाई से 23 जुलाई तक आयोजित होगी।  श्रीखंड जिला कुल्लू के दुर्गम क्षेत्र से लगभग 1800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
 इस स्थान पर पहुंचने के लिए शिमला से रामपुर, रामपुर से निरमंड व बागीपुल तक बस से पहुंचा जा सकता है।  निरमंड से 4 कि.मी. पीछे  उतर कर देवढांक में महादेव के दर्शन कर लिए जाएं तो श्रीखंड महादेव की यात्रा सफल हो जाती है। यहां से अपनी यात्रा शुरू करनी चाहिए। रात्रि विश्राम बागीपुल में किया जा सकता है। जांव गांव में महामाया का एक बहुत ही पुराना भव्य मंदिर है। जांव गांव में थोड़ा विश्राम करके सिंहगाड तक आराम से पगडंडी द्वारा रास्ता तय करके पहुंचा जा सकता है। बागीपुल से सिंहगाड का रास्ता 9 कि.मी. है। इसके बाद यात्री थाचडू के लिए प्रस्थान करते हैं और फिर बराहटीनाला में गिरचादेव के दर्शन करके आगे की यात्रा शुरू करते हैं और अगला पडाव भीमडुआरी है। यहां घने जंगल व बर्फ से लदे पहाड़ देख कर मन मोहित हो जाता है। थाचडू से भी सुबह-शाम अगर मौसम साफ हो तो श्रीखंड महादेव के दर्शन किए जा सकते हैं। चढ़ाई चढ़ने के बाद महाकाली, जोगणीजोत, कालीघाटी का छोटा सा मंदिर आता है। यहां से भी श्रीखंड महादेव के दर्शन किए जा सकते हैं। इसके आगे घाटी में ढांक दुआर, कुणासा घाटी, व काली घाटी देखने योग्य स्थल हैं।  कहते हैं कि भीमडुआरी में अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां पर ठहरे थे इसलिए इसका नाम भीमडुआरी पड़ा। यहां विश्राम करने के बाद यात्री श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए निकल पड़ते हैं। यहां से कैलाश दर्शन की दूरी लगभग 7 कि.मी. है। आगे छोटे-छोटे कल-कल करते नाले व ऊंचे पहाड़ों से गिरती हुई शोर मचाती हुई पानी की धाराएं फूलों से लदी घाटियां व मां पार्वती के बाग यात्रियों को कठिन यात्रा का एहसास नहीं होने देते। चार घंटों का सफर तय करने के बाद नैनसर झील आ जाती है। कहते हैं कि माता पार्वती को जब भस्मासुर ने डराया था तब वे रो पड़ी थीं उनके आंसुओं  की धारा से ही इस आंख के आकार के सरोवर का निर्माण हुआ व इसलिए इसका नाम नैनसर पड़ा। नैनसर से आगे शुरू होती है और भी कठिन और दुर्गम यात्रा। भीमबही में बहुत बड़ी चट्टानें हैं जिन पर कुछ लिखा हुआ है। कहते हैं कि अज्ञातवास के दौरान भीम ये चट्टानें यहां लाए थे। चढ़ाई चढ़ते समय कुछ ऐसी जगह भी आती है जहां पर एक नन्हें बालक की तरह रेंग कर चढ़ना पड़ता है। बर्फ के ग्लेशियर लांघ कर यात्री यहां पहुंचते हैं परंतु श्रीखंड कैलाश से थोड़ा पीछे काफी बड़ा ग्लेशियर लांघना पड़ता है। अब लगभग 60-70 फुट ऊंचे प्राकृतिक शिवलिंग व साथ में थोड़ा हट के भगवान गणपति व मां पार्वती के दर्शन शुरू हो जाते हैं व सामने श्री कार्तिकेय स्वामी के दर्शन किए जा सकते हैं। भारी ठंड व 1800 फीट की ऊंचाई पर श्रीखंड महादेव स्थित होने के कारण यहां पर ज्यादा देर ठहरना संभव नहीं होता। परंतु थोड़ी देर दर्शन करके ऐसा अनुभव होता है कि जैसे स्वर्ग की यात्रा की जा रही हो। यह यात्रा कठिन होने के साथ-साथ अति मनोहारी, सुखदायी व अध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाली है।

रविवार, जून 10, 2012

श्रीखण्‍ड छड़ी यात्रा 2012

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हिमालय में बसे श्रीखण्‍ड महादेव की पवित्र श्रीखण्‍ड छड़ी यात्रा 30 जून 2012 को जिला कुल्‍लु के निरमण्‍ड से आरम्‍भ हो रही है। छड़ी यात्रा का नेतृत्‍व महंत अशोक गिरी फलाहारी बाबा करेंगे। इसमें दो छडि़या होंगी जिसमें एक माता अंबिका की और दूसरी दतात्रेय महाराज की होगी। श्रीखण्‍ड छड़ी यात्रा एवं ग्राम सुधार समिति के अध्‍यक्ष देवेन्‍द्र पाल शर्मा और सचित कुशल राम शर्मा ने बताया कि 30 जून को छड़ी का विधि विधान से पूजन किया जाऐगा । यात्रा निरमण्‍ड के दशनामी जूना अखाड़े से ब्राहटी नाला तक प्रस्‍थान करेगी 1 जुलाई 2012 को यात्रा ब्राहटी नाला से थाचड़ु से भीमडवार पहुंचेगी । 3 जुलाई को भीम डवारी से श्रीखण्‍ड दर्शन के लिए रवाना होगी। उन्‍होने बताया कि 8 जुलाई को निरमण्‍ड में भंडारे का आयोजन किया जाऐगा। 

मंगलवार, फ़रवरी 14, 2012

कुमारसैन की पल्‍लवी जाऐगी जापान

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राजकीय वरिष्‍ठ माध्‍यमिक पाठशाला कुमारसैन शिमला की छात्रा पल्‍लवी वर्मा का चयन जापान यात्रा के लिए हुआ है। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय The Japan East Asia Network of Exchange for Students and Youths (JENESYS) के तहत यह चयन हुआ  है । इस योजना के तहत पुरे देश से लगभग पौन तीन सो छात्र छात्राओं का चयन हुआ है। शिमला जिला से इस यात्रा के लिए 14 छात्रों का चयन हुआ है। पाठशाला के प्राचार्य कमलजीत सिंह ठाकुर ने पल्‍लवी को इस चयन के लिए बधाई देते हुए इसे  स्‍कूल और क्षेत्र के लिए गर्व की बात बताया है। जमा एक कक्षा में विज्ञान संकाय की छात्रा पल्‍लवी कुमारसेन के साथ लगते गांव बई से बलबीर सिंह वर्मा  की पुत्री है।  पल्‍लवी ने इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता और अध्‍यापकों को दिया है। पल्‍लवी आरम्‍भ से ही होनहार छात्रा रही है। दसवीं की हिमाचल प्रदेश स्‍कूल शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में भी पल्‍लवी ने नब्‍बे प्रतिशत से उपर अंक प्राप्‍त किये है। 

गुरुवार, जनवरी 26, 2012

विजय शर्मा को पदमश्री

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हिमाचल को पेंटिंग्स में पदमश्री अवार्ड से नवाजा गया है और यह पुरस्कार चंबा के विख्यात चित्रकार 50 वर्षीय भाषा अधिकारी विजय शर्मा को मिला है। श्री शर्मा जो कि भूरि सिंह संग्रहालय में कार्यरत हैं। इससे पहले विजय शर्मा को वर्ष 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री बेंकट रमन ने राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया था। विजय शर्मा अब तक 15 हजार से भी ज्यादा ऑयल पेंटिग्स बना चुके हैं। 35 वर्षों से वह इस हुनर को पाले हुए हैं। उन्हें यह हुनर शौकिया ही मिला है, उन्हें चंबा संग्रहालय से ही पुराने कलाकारों की पेटिंग्स को देखकर प्रेरणा मिली है। उनकी पेंटिग कांगड़ा, बसौली पर आधारित है। राधा-कृष्ण रागमाला उनकी अन्य कृतियां हैं। विजय शर्मा इस पुरस्कार को पाकर खुश हैं। अपने साथ उन सभी कलाकारों को इस खुशी में शामिल करना चाहते हैं, जो प्रदेश में गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं। उनमें हुनर तो है मगर उनकी अब तक भी पहचान नहीं हो पाई है। विजय शर्मा जिला के ऐसे दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्हें पदमश्री से नवाजा गया है। इससे पहले बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय कैलाश महाजन भी इस अवार्ड को हासिल कर चुके हैं।

सोमवार, जनवरी 09, 2012

'तीसरी आँख' की पुरस्कार/सम्मान-श्रृंखला:

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जितेन्द्र 'जौहर' की त्रैमा. 'अभिनव प्रयास' (अलीगढ़, उप्र) के- बहुचर्चित साहित्यिक स्तम्भ 'तीसरी आँख' की पुरस्कार/सम्मान-श्रृंखला: के बारे में मेल मिली है साहित्यिक मित्रों के लिए विवरण दे रहा हूं 

त्रैमा. 'अभिनव प्रयास' (अलीगढ़, उप्र) के- बहुचर्चित साहित्यिक स्तम्भ 'तीसरी आँख' की पुरस्कार/सम्मान-श्रृंखला:

रविवार, दिसंबर 11, 2011

हिमाचल के लेखकों के लेखन की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

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 ठियोग के डिग्री कॉलेज में साहित्यिक संस्था 'सर्जक की ओर शनिवार को  रखी गई संगोष्ठी में हिमाचल के लेखकों के लेखन की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और उसके सरोकारों को लेकर विचार विमर्श हुआ। इसमें प्रदेश से बाहर से आए वरिष्ठ लेखक और आलोचक सत्यपाल सहगल ने कई टिप्स लेखकों को दिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल में लिखा जा रहा साहित्य किसी तरह भी कमतर नहीं है। उन्होंने कविताओं में अध्यात्म की भी वकालत की। ठियोग में इतने सारे लेखकों के जुटने पर उनका कहना था कि ठियोग प्रदेश की साहित्यिक राजधानी बनता जा रहा है। पहले यह स्थान मंडी को हासिल था। हाल ही में बिहार की 'जनपथ और मध्यप्रदेश की 'आकंठा पत्रिकाओं की और से निकाले गए हिमाचल विशेषांकों के लिए संपादकों अनंत कुमार सिंह और हरिशंकर अग्रवाल का आभार जताया और हिमाचल के वर्तमान लेखन को समग्रता के साथ देश भर के पाठकों के सामने लाने के लिए उन्हें साधुवाद दिया। सर्जक के इस कार्यक्रम का दूसरा सत्र और भी सफल रहा जब हाल में प्रदेश के लगभग सभी वर्तमान हिन्दी कवियों ने अपनी बेहतरीन कविताएं सुनाईं। एक और जहां प्रदेश के स्थापित कवियों अवतार एनगिल, तेजराम शर्मा, रेखा, मधुकर भारती ने अपनी ताजा कविताएं सुनाईं, वहीं आजकल के चर्चित युवा कवियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। ऊना के कुलदीप शर्मा ने अपनी कविता 'सिक्योरिटी गार्ड के जरिए वर्तमान युवा पीढ़ी के असंतोष की ऐसी तस्वीर खींची कि हाल देर तक तालियों से गूंजता रहा। ऊना के ही युवा शायर शाहिद अंजुम ने अपनी गजलों के शेरों में परिवारों के टूटने, रिश्तों के बिखरने और महीन संवेदनाओं की परतें खोलते कई बिंब खींचे। उनकी एक बानगी देखिए-- अब तो मां बाप भी मुल्कों की तरह मिलते हैं-सरहदों की तरह औलाद भी बंट जाती है। केलंग से आए अजेय ने भी अर्थों की गहराई लिए कविता सुनाई। सुरेश सेन निशांत-सुंदरनगर, यादवेंद्र शर्मा, आत्माराम रंजन, ओम भारद्वाज, प्रकाश बादल, सुदर्शन वशिष्ठ, बद्री सिंह भाटिया, सत्यनारायण स्नेही, मोनिका, रत्न चन्द निर्झर, अरुण डोगरा, हरिदत्त वर्मा, देवेन्द्र शर्मा, वेद प्रकाश, सुनील ग्रोवर, मोहन आदि दो दर्जन कवियों ने कविता पाठ किया। पहले सत्र की अध्यक्षता डॉ. सत्यपाल सहगल और दूसरे सत्र की अध्यक्षता अवतार एन. गिल ने की। मंच संचालन सुदर्शन वशिष्ठ और आत्माराम रंजन ने किया।

रविवार, दिसंबर 04, 2011

देव आनंद नहीं रहे ।

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धर्मदेव आनंद, यानी  देव आनंद नहीं रहे । लंदन में उनका निधन हो गया। देव साहब भारतीय सिनेमा के बहुत ही सफल कलाकार, निर्देशक और फिल्म निर्माता थे । भारत सरकार ने देव आनंद को भारतीय सिनेमा के योगदान के लिए 2001 में पद्मा भूषण और 2002 में दादा साहब फाल्के पुरस्कारों से सम्मानित किया। देव आनन्‍द साहब को सादर नमन 1
 
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