ब्लॉग वाणी के बन्द होने के बाद आज ब्लॉग सेतु को देखा। दरअसल इसकी सूचना फेसबुक के माध्यम से मिली। जिज्ञासा हुई और जा पहुंचे ब्लॉग सेतु पर । पंजीकरण कर दिया। कुछ अन्य मित्रों को इसकी सूचना दी। ब्लॉग सेतु का अभी आरम्भ है देखे कहां तक जाता है। टीम को शुभकामनायें । लेकिन ब्लॉगवाणी की कमी तो अखरती रहेगी ही।
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मंगलवार, मई 20, 2014
ब्लॉग सेतु आपका स्वागत है .....
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मंगलवार, मई 20, 2014
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रौशन जसवाल विक्षिप्त
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रविवार, मार्च 16, 2014
रविवार, नवंबर 03, 2013
रविवार, सितंबर 29, 2013
22वाँ अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन
पंजाबी
त्रैमासिक ‘मिन्नी’ तथा श्री गुरू रामदास कॉलेज ऑफ नर्सिंग, पंधेर
(अमृतसर) के संयुक्त तत्वावधान में दिनांकः 19 अक्तूबर, 2013 (शनिवार) स्थानः श्री
गुरू रामदास कॉलेज ऑफ नर्सिंग, पंधेर (अमृतसर)
22वाँ अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन
कार्यक्रम
प्रथम सत्र : 4.00 बजे बाद दोपहर: विचार-चर्चा, पुस्तक विमोचन, सम्मान एवम् पुरस्कार
•अध्यक्षता: सर्वश्री डॉ. जोगेंद्रजीत सिंह (उप-मंडल मैजिस्ट्रेट, बटाला) डॉ. सुखदेव
सिंह खहिरा, भगीरथ, रामेश्वर
काम्बोज हिमाँशु, डॉ. बलराम अग्रवाल, सुरिंदर कैले
•आलेख : * मिन्नी कहाणी के चार दशक: रूपक पक्ष में हुआ विकास (पंजाबी में) :
डॉ. अनूप सिंह
* मिन्नी कहाणी के चार दशक: विषयगत विस्तार एवं संभावनाएँ (पंजाबी में) :
डॉ. कुलदीप सिंह दीप
* पंजाबी लघुकथा के विकास में पत्रिका ‘मिन्नी’ का योगदान
(पंजाबी में) :
जगदीश
राय कुलरियाँ
•चर्चाकार : सुकेश साहनी, निरंजन बोहा, सुभाष नीरव, डॉ.रूप
देवगुण, राम कुमार आत्रेय, डॉ. नायब सिंह मंडेर,
•विमोचन : * मिन्नी कहानी दे चार दहाके : सं.
दीप्ति, अग्रवाल, नूर
* रिश्तिआँ दी नींह : जगदीश राय कुलरियाँ
* सन 47
तों बाद : बिक्रमजीत नूर
* मेरी सरघी : हरजिंदर कौर कंग * पत्रिका ‘मिन्नी’ का अंक-101 : सं.
दीप्ति, अग्रवाल, नूर
* पंजाबी मिन्नी कहाणी: विधागत सरूप ते शिल्प विधान : निरंजन बोहा
•सम्मान : * श्री गुरमीत हेयर स्मृति सम्मान : श्री हमदर्दवीर नौशहरवी
* किरन अग्रवाल स्मृति सम्मान : डॉ. कर्मजीत सिंह नडाला * प्रिंसिपल भगत सिंह सेखों स्मृति सम्मान : श्री प्रीत नीतपुर
* ‘मिन्नी कहाणी
लेखक मंच, अमृतसर’ की ओर से
लघुकथा प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार
द्वितीय सत्र: रात्रि 8.30 बजे: ‘जुगनुआँ दे अंगसंग’ (‘मिन्नी’ का तिमाही आयोजन)
उपस्थित हिंदी-पंजाबी लेखकों/लेखिकाओं
द्वारा लघुकथा-पाठ एवं प्रत्येक रचना पर विचार-चर्चा
इस सुअवसर पर आप सादर आमंत्रित हैं।
विनीतः
डॉ. श्याम सुन्दर दीप्ति डॉ. अनूप सिंह प्रिं.
हरजिंदर कौर कंग
(09815808506) हरभजन खेमकरनी 09501725553
श्याम सुन्दर अग्रवाल
डॉ. शील कौशिक अवतार सिंह
बिक्रमजीत नूर डॉ. सुखदेव सिंह सेखों हरपाल सिंह नागरा
आवश्यक सूचनाः •आयोजन स्थल अमृतसर-फतेहगढ़ चूड़ियाँ रोड पर अमृतसर से लगभग 20 कि.मी. की दूरी
पर है। बाहर से आने वाले लेखकों को आयोजन स्थल पर ले जाने हेतु कॉलेज की बस अमृतसर
बस स्टैंड से 3.00 बजे रवाना होगी। •शनिवार रात्रि को भोजन एवम्
आवास की व्यवस्था आयोजन स्थल पर ही रहेगी। • कभी भी आवश्यकता पड़ने पर सम्पर्क करें: डॉ. श्याम
सुन्दर दीप्ति
(मोब-09815808506), श्याम सुन्दर अग्रवाल
(09888536437), प्रिं. हरजिंदर कौर कंग
(09501725553)
सोमवार, दिसंबर 31, 2012
बुधवार, फ़रवरी 08, 2012
अश्विनी रमेश को हिमोत्कर्ष हिमाचलश्री पुरस्कार
साहित्कार और प्रशासनिक अधिकारी अश्विनी रमेश को हिमोत्कर्ष साहित्य संस्कृति एवं जनकल्याण परिषद हिमाचल प्रदेश ने हिमोत्कर्ष हिमाचलश्री पुरस्कार 2011-12 से सम्मानित किया है। रमेश साहित्य में विशेष रूचि रखते है। अश्विनी रमेश का एक काव्य संग्रह ज़मीन से जुड़े आदमी का दर्द भी प्रकाशित हो चु का है जिसे साहित्य जगत में बेहद सराहा गया है। अश्विनी रमेश का जन्म 25 मई 1961 को जिला शिमला के ठियोग में गांव कुन्दली में हुआ। अश्विनी रमेश हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम0 फिल0 और अंग्रेजी में एम0ए0 की उपाधि प्राप्त है। अश्विनी रमेश की रचनायें विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ आकाशवाणी शिमला से प्रसारित भी हो चुकी है। अश्विनी रमेश हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है और ठियोग की साहित्यिक संस्था सर्जक से भी जुड़े है। अन्तरजाल पर उनके महफिले शायरी और Poetry--A Blend of Real, Natural and the Mystic उपलब्ध है। अश्विनी रमेश को अनेकानेक बधाई।
मंगलवार, दिसंबर 06, 2011
फेसबुक पर शब्द चयन
आज सभी समाचार चैनलों पर फेस बुक पर की जाने वाली टिप्पणियों का समाचार चर्चा होती रही वैसे यह मामला कपिल सिब्बल द्वारा उठाया गया। वैसे सिब्बल जी ठीक है 1 पिछले दिनों इन्ही टिप्पणियों के कारण फेसबुक को अलविदा कहने का मन हो रहा था। मित्रों ने फिलहाल इसे टालने का आग्रह किया। फेसबुक पर अधिकतर लोगों में शब्द चयन की शालीनता नहीं है। फेसबुक पर अध्यापक संघों के पृष्ठ बने है । शिक्षा से जुड़ा होने के कारण इन पृष्ठों पर जाता रहता हूं परन्तु दुख होता है कि शिक्षा से जुड़े लोगो के शब्द चयन भी ठीक नहीं है1 एक ने टिप्पणी में शुशु और पोटी शब्दों का उल्लेख करते हुए टिप्पणी की तो उस व्यक्ति की सोच पर हैरानी होने लगी कि कैसे कैसे लोग है जो सम्भवत: शालीनता शब्द के महत्व को नहीं जानते । वैसे फेसबुक की जाने वाली टिप्पणियों पर नज़र रखी जानी चाहिए। फेसबुक सम्पर्क और सृजनात्मकता का साधन हो सकता है। वैसे कुछ सन्दर्भों को को छोड़ कर मेरा अनुभव अच्छा रहा है अच्छे और साहित्यिक मित्रों से सम्पर्क हो पाया है। खोए हुए मित्रों से पुन: संवाद स्थापित हो पाया है। सभी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए टिप्पणी करनी चाहिए। ग़लत को ग़लत कहना ही चाहिए समाज में ग़लत मान्यताओं का विरोध होना ही चाहिए। लेकिन इस विरोध में शब्दों की शालीनता पर भी अवश्य ध्यान दिया जाना चाहिए ।
शनिवार, नवंबर 19, 2011
विदा फेसबुक
फेसबुक से मोह हट सा गया है। इसिलिए आज मात्र अलविदा फेसबुक लिख कर अपना खाता निरस्त करने की सोच रहा हूं। कुछ मित्रों की मेल और फोन भी आए है। कारण वर्तमान परिपेक्ष्य में फेसबुक को अपने अनुकूल नहीं पा रहा हूं । लेकिन इससे बढ़ कर भी एक कारण है कि मेरा खाता और मेल अन्यत्र खोला गया है। अनहोनी की आशंका से ऐसा कर रहा हूं। आशा है मित्र इसे अन्यथा नहीं लेंगे।
सोमवार, अक्तूबर 24, 2011
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