मन में अगर कुछ कर गुजरने की चाह हो तो रास्तें खुद ही निकल आते है ! मस्कुलर डिसट्राफी एक ऐसा रोग है जो व्यक्ति को लगभग नकारा कर देता है ! पिछले दिनों एक नवोदित रचनाकार प्रवीण कुमार अम्बडिया का काव्य संग्रह तलाश पढ़ने का मोका मिला ! हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिला के अम्बाडी गाँव में ३० जून १९७७ को जन्मे प्रवीण को दूसरी कक्षा में पढ़ते ही मस्कुलर डिसट्राफी ने अपंग कर दिया ! प्रवीण ने कुछ समय तो स्कुल में अध्ययन किया परन्तु आठवीं कक्षा के बाद प्रवीण को स्कुल छोड़ना पड़ा !
प्रवीण ने अपनी विकलागता को अपने जीवन में रूकावट नहीं बनने दिया ! साहित्य में रूचि ने कविता लेखन की तरफ अग्रसर किया ! प्रवीण अब तक लगभग ५०० कवितायेँ लिख चुका है ! तलाश में प्रवीण की करीब ३५ कवितायेँ है जिनमे से कुछ कविताये बरबस ही मन को
प्रभित करती है ! विकलागंता, खुशियाँ, मस्त पवन, जीने का इरादा, मैं हूँ नन्ही सी परी, हे माँ आदि प्रभावित करने वाली कवितायेँ है !
हिमाचल के सोलन स्तिथ इंडियन एसोसिअशन ऑफ़ मस्कुलर डिसट्राफी द्वारा प्रकशित प्रवीण के काव्य संग्रह का मूल्य ५० रुपये है ! यह सहयोग प्रवीण को मस्कुलर डिसट्राफी से लड़ने के प्रेरित करेगा ! मैं पाठकों के सुविधा के लिए एसोसिअशन का पता दे रहा हूँ जहाँ से अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है !
इंडियन एसोसिअशन ऑफ़ मस्कुलर डिसट्राफी
हॉस्पिटल रोड, सोलन १७३ २१२
फोन ०१७९२ २२३१८३ , ९८१६९ ०५११८