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शुक्रवार, मई 21, 2010

इसे मैं शीर्षक नहीं दे पाया

(समीर जी के लेख "मैं कृष्ण होना चाहता हूं" से प्रेरित हो कर) 
छायाचित्र साभार: समीर जी के लेख से

हर एक में कहीं
भीतर ही होता है कृष्ण
और होता है
एक निरंतर महाभारत
भीतर ही भीतर,
क्यों ढूढते है हम सारथी
जब स्वयं में है कृष्ण,
मैं तुम और हम में बटा ये चक्रव्यूह
तोड़ता है भीतर का ही अर्जुन,
माटी है और सिर्फ माटी है
हर रोज यहां देखता हुं
मैं तुम और हम का कुरुक्षेत्र !!

10 Reviews:

दिलीप on 21 मई 2010 को 2:43 pm बजे ने कहा…

Sundar Rachna...

nilesh mathur on 21 मई 2010 को 3:23 pm बजे ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" on 21 मई 2010 को 3:31 pm बजे ने कहा…

एकदम सच ! शीर्षक की ज़रुरत नहीं है ... आपने बखूबी अपनी बात कह दी ...

kunwarji's on 21 मई 2010 को 4:02 pm बजे ने कहा…

shaandaar abhivayakti!
sail ji ne sahi kaha...

kunwar ji,

चन्द्र कुमार सोनी on 21 मई 2010 को 11:36 pm बजे ने कहा…

अति-सुन्दर.
मुझे पसंद आई आपकी रचना.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

Unknown on 24 मई 2010 को 8:16 pm बजे ने कहा…

"अंतर्द्वंद"

चला बिहारी ब्लॉगर बनने on 24 मई 2010 को 11:18 pm बजे ने कहा…

जन साधारण का जीवन संघर्ष देखा दिए हैं आप... टाईटिल का जरूरते नहिं है.. जो जईसा देखेगा, वईसा उसको जिंदगी का रूप देखाई देगा.. बहुत बढिया..

राजेश उत्‍साही on 8 जून 2010 को 2:58 pm बजे ने कहा…

आपकी इस सुंदर प्रस्‍तुति का शीर्षक हो सकता है आधार।

aarkay on 9 जून 2010 को 1:28 pm बजे ने कहा…

जो भीतर है उसे बाहर खोजने की प्रवृति पुरातन काल से हम में है.
कस्तूरी मृग का उदाहरण हमारे सामने है .
बहुत सुन्दर कविता जो शीर्षक की मोहताज नहीं.

हिमधारा on 10 जून 2010 को 2:38 pm बजे ने कहा…

आपके ब्लोग पर आ कर अच्छा लगा! ब्लोगिंग के विशाल परिवार में आपका स्वागत है! आप हिमाचल प्रदेश से सम्बधित है इसलिये हम आपको बताना चाहेगे कि हिमधारा ब्लोग हिमाचल प्रदेश के शौकिया ब्लोगर्स का एक प्रयास है ! आप इससे जुड़ कर अपना रचनात्मक सहयोग दे सकते है ! आपसे आग्रह है की हिमाचल के अन्य शौकिया ब्लोगर्स के ब्लॉग के पतें हमें ईमेल करें या आप उनका पता पंजिकृत करवा दें ताकि उनकी फीड हिमधारा में शामिल हो सके और स्तरीय रचनाओं की जानकारी पाठकों को मिल सके ! हिमधारा में प्रकाशित रचनाओं पर अपने विचार और सुझाव ज़रुर दें आपके विचार जहां रचना के लेखक को प्रोत्साहित करेंगे वहीं हिमधारा को और निखारने में भी हमें मदद देंगे! आप हिमधारा के दो और प्रयास (संकल्क)हिमधारा और टिप्स भी देखें और अपना सुझाव दें! आप अपना ब्लोग अन्य हिन्दी ब्लोग संकल्कों ब्लोगवाणी , चिठ्ठाजगत, INDIBLOGGER,
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हैप्पी ब्लोगिंग!
सहयोग की आशा सहित
सम्पादक हिमधारा

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