मां
अक्सर बातें करती थी
दीवारों से अकेले ही,
कभी
समझा नहीं
मां का बतियाना
दीवारों से,
आज समझा हूँ
होता क्या है
अकेलापन
और
एकटक
दीवारों को देखना,
दीवारों से
बतियाना,
एक उम्र के बाद
लगता है अच्छा
एकाकी
दीवारों को एकटक देखना
और
उनसे
अकेले बतियाना।
अक्सर बातें करती थी
दीवारों से अकेले ही,
कभी
समझा नहीं
मां का बतियाना
दीवारों से,
आज समझा हूँ
होता क्या है
अकेलापन
और
एकटक
दीवारों को देखना,
दीवारों से
बतियाना,
एक उम्र के बाद
लगता है अच्छा
एकाकी
दीवारों को एकटक देखना
और
उनसे
अकेले बतियाना।
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