जुलाई माह संक्रांति से ऐतिहासिक श्रीखंड महादेव कैलाश यात्रा शुरू हो जाएगी। इसके लिए कमेटी तथा प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। 11 दिन चलने वाली इस पवित्र यात्रा का पहला जत्था 16 जुलाई को सिंहगाड़ (निरमंड) से रवाना होगा। पहले जत्थे में प्रदेश सहित छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और केरल सहित कई राज्यों के एक हजार भक्त शिरकत करेंगे। जत्था सिंहगाड़ से सुबह पौ फटने पर कन्या पूजन करने के बाद आगे बढ़ेगा। संक्रांति 14 जुलाई को है श्रीखंड सेवा दल प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद शर्मा ने बताया कि कमेटी की ओर से यात्रा के लिए सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। 25 किमी की सीधी चढ़ाई वाली श्रीखंड कैलाश महादेव तक पहुंचने के लिए कमेटी ने तीन पड़ाव रखे हैं। इसमें सिंहगाड़ से थाचडू 9 किमी, थाचडू से भीमड़वार 9 किमी तथा भीमड़वार से श्रीखंड कैलाश 7 किमी की दूरी है। तीनों स्थलों पर कमेटी की ओर से ठहरने और रहने के पुख्ता प्रबंध किए;गए हैं। यहां दवाइयां आदि भी उपलब्ध रहेंगी। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने इस 25 किमी के दायरे में दिल खोलकर सुंदरता लुटाई है। यात्रा के दौरान भक्त प्राकृतिक शिव गुफा, देवढांक, परशुराम मंदिर, गौरा मंदिर, सिंहगाड़, भीमद्वार, फूलों की घाटी, पार्वती बाग, नैन सरोवर और महाभारत कालिंग, विशाल शिलालेक श्रद्धालुओं को दर्शन करने के लिए मिलेंगे। इसके उपरांत अंत में 18000 फुट ऊंचे पर्वत पर विराजमान भोले नाथ के श्री खंड कैलाश के दर्शन होंगे। प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद शर्मा ने बताया कि यात्रा की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए नशीले पदार्थों, चमड़े के जूते और प्लास्टिक का सामान ले जाना यहां पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। यात्रियों की सुविधा के लिए श्रीखंड सेवा समिति की ओर से रोजाना भंडारे का आयोजन होगा। उन्होंने बताया कि यहां स्वयं भगवान शिव ने प्रार्थना की थी। श्रीखंड में ही भगवान शंकर ने भस्मासुर का वध किया था।
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