कुछ
ना कुछ तो हुआ होगा कुछ जो छुपा रहे हो
जानता
समझता हूँ सच झठ,
तुम क्या बता रहे हो।
आसां
नहीं होता खुद को यूं ग़म में डुबो देना,
आज
तुम रिश्ते नातों अपनों को गंवा रहे हो।
मत
बताना मत कहना,
रास्ता लम्बा बता रहे हो।
अच्छा
है भ्रम है,
ये वफादारी और ये इश्क,
एक
तुम क्या हो कि सपनें झूठे दिखा रहे हो।
विक्षिप्त
है क्या हुआ,
क्या यही है इश्क तुम्हारा,
जानता
हूँ झूठ है, दूसरों
के किस्से सुना रहे हो।
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