एक दड़वा। कुल चार मुर्गे। चार छोटे एक बड़ा। बड़ा मुर्गा इन चार छोटे मुर्गों की देखभाल करता, बाहरी मुश्किलों से सुरक्षा देता।
समय बीतता गया। चारों छोटे मुर्गे बड़े हो गए। बड़ा मुर्गा अब बूढ़ा हो चला था। चार मुर्गे में एक ज्यादा जागरूक हो गया, बात बात पर हुकुम चलाने लगा था, बड़ा मुर्गा उसे समझता और सभी को मिल कर रहने की सलाह देता।
उस बड़े होते मुर्गे को उसकी बातें अच्छी न लगती थी। उसने अन्य तीन मुर्गो को भड़काना शुरू कर दिया। उनको वो बड़े बड़े सपने दिखाने लगा। वो भी उसकी बातों में आ ही गए। अब वो मुखिया बन गया।
अब उन चारों ने उस बड़े मुर्गे को धमकाना शुरू कर दिया। वो बड़ा मुर्गा अब अकेला सा हो गया।
अब वो उस दड़वे में अकेला हो गया। कोने में अकेला गुमसुम रहता है। चुपचाप सोचता है गलती कहाँ हो गई।
0 Reviews:
एक टिप्पणी भेजें
" आधारशिला " के पाठक और टिप्पणीकार के रूप में आपका स्वागत है ! आपके सुझाव और स्नेहाशिर्वाद से मुझे प्रोत्साहन मिलता है ! एक बार पुन: आपका आभार !