google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : इक दिन होना है

शुक्रवार, दिसंबर 29, 2017

इक दिन होना है

ये तो इक न इक दिन होना है,
खेत नऐ रिश्‍तों का अब बोना है।

नियम कायदे सब, है मेरे लिए,
बाहरी आदमी हॅू मुझे बस कोना है।

देख के हाथों की आड़ी तिरछी लकीरे,
कहा उसने, इससे भी बूरा होना है।

आंखों के कोनों से बहता रहता है पानी,
यही सरमाया है, यही तो मेरा सोना है।

छल गया जो अपना बन कर, कह कर,
आज समझा कद में वह बहुत बौना है ।

विक्षिप्‍त को जि़ंदगी में देखना है क्‍या क्‍या,
संसार, गिरना गिराना पाना और खोना है।

0 Reviews:

एक टिप्पणी भेजें

" आधारशिला " के पाठक और टिप्पणीकार के रूप में आपका स्वागत है ! आपके सुझाव और स्नेहाशिर्वाद से मुझे प्रोत्साहन मिलता है ! एक बार पुन: आपका आभार !

 
ब्लोगवाणी ! INDIBLOGGER ! BLOGCATALOG ! हिंदी लोक ! NetworkedBlogs ! हिमधारा ! ऐसी वाणी बोलिए ! ब्लोगर्स ट्रिक्स !

© : आधारशिला ! THEME: Revolution Two Church theme BY : Brian Gardner Blog Skins ! POWERED BY : blogger