google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : वर्गभेद

शुक्रवार, सितंबर 30, 2011

वर्गभेद


आप जहां रहते है वहां के लोगों से अपनत्‍व होना स्‍वाभाविक है आप चाहे किसी भी क्षेत्र से क्‍यों न हो। इसी अपनत्‍व में लोग आपसे बहुत कुछ चाहने लगते है। यदि आप नहीं दे पाए तो लोगों का मन कितना काला है ये सामने आ ही जाता है। क्‍या कोई ऐसा नहीं है जो ईमानदारी सरलता का सही मूल्‍यांकन कर सके या सभी वर्गभेद में डूबे हुए है । योग्‍यता का कोई सम्‍मान नहीं रहा है शायद। अन्‍तकरण भीतर तक छलनी हो जाता है यह भेद देख कर । क्‍या सभी कसाई है कि मौका मिला तो मुर्गा मरोड़ ही देगे। हम पीछे की ओर चल रहे या अग्रसर है क्‍या मालुम। फूल बोने पर क्‍या कांटे ही मिलते रहेगे। अब तो हद हो गई है यारब ..............


0 Reviews:

एक टिप्पणी भेजें

" आधारशिला " के पाठक और टिप्पणीकार के रूप में आपका स्वागत है ! आपके सुझाव और स्नेहाशिर्वाद से मुझे प्रोत्साहन मिलता है ! एक बार पुन: आपका आभार !

 
ब्लोगवाणी ! INDIBLOGGER ! BLOGCATALOG ! हिंदी लोक ! NetworkedBlogs ! हिमधारा ! ऐसी वाणी बोलिए ! ब्लोगर्स ट्रिक्स !

© : आधारशिला ! THEME: Revolution Two Church theme BY : Brian Gardner Blog Skins ! POWERED BY : blogger