google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : मां भगयाणी मन्दिर हरिपुर धार

शुक्रवार, जुलाई 08, 2011

मां भगयाणी मन्दिर हरिपुर धार


ज़िला सिरमौर के हरिपुरधार में स्थित मां भगयाणी मन्दिर समुद्रतल से आठ हज़ार की ऊंचाई पर बनाया गया है! यह मन्दिर उतरी भारत का प्रसिद्ध मन्दिर है! यह मन्दिर कई दशकों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुअ है! वैसे तो यहां वर्ष भर भक्तों का आगमन रहता है परन्तु नवरात्रों और संक्राति में भक्तों की ज्यादा श्रद्धा रहती है! इसका पौराणिक इतिहास श्रीगुल महादेव से की दिल्ली यात्रा से जुडा है जहां तत्कालीन शासक ने उन्हे उनकी दिव्यशक्तियों के कारण चमडे की बेडियों में बांध बन्दी बना लिया था और दर्वार में कार्यरत माता भगयाणी ने श्रीगुल को आज़ाद करने में सहायता की थी! इस कारण श्रीगुल ने माता भगयाणी को अपनी धरम बहन बनाया और हरिपुरधार मेंस्थान प्रदान कर सर्वशक्तिमान का वरदान दिया! आपार प्राकृतिक सुन्दरता के मध्य बना यह मन्दिर आस्था का प्रमुख स्थल है!  बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये मन्दिर समिति ने ठहरने का प्रबन्ध किया हुआ है! हरिपुरधार  शिमला से वाया सोलन राजगढ एक सौ पचास किलोमीटर दूर है! जबकि चण्डीगढ से १७५ किलोमीटर है! हरिपुरधार के लिये देहरादून से भी यात्रा की जा सकती है!

3 Reviews:

aarkay on 16 जुलाई 2011 को 12:18 pm बजे ने कहा…

सरकारी काम काज के सिलसिले में हरिपुरधार से दो बार गुज़रना हुआ और दोनों बार ही माँ भगयानी के मंदिर में जा कर दर्शन किये. ऊंचाई पर होने के कारण, मंदिर के आस पास का दृश्य वास्तव में बहुत ही मनोरम है . लोगों की इस देवी के प्रति गहन आस्था है, साथ ही बहुत संख्या में लोग, घरेलु या पारिवारिक समस्याओं से निजात पाने के लिए, पंडित जी को जन्मपत्री दिखाने और पूछ आदि के लिए भी आते हैं. गत ५-६ वर्ष पूर्व की याद ताज़ा हो आई !

आभार !

aarkay on 16 जुलाई 2011 को 5:03 pm बजे ने कहा…

सरकारी काम काज के सिलसिले में हरिपुरधार से दो बार गुज़रना हुआ और दोनों बार ही माँ भगयानी के मंदिर में जा कर दर्शन किये. ऊंचाई पर होने के कारण, मंदिर के आस पास का दृश्य वास्तव में बहुत ही मनोरम है . लोगों की इस देवी के प्रति गहन आस्था है, साथ ही बहुत संख्या में लोग, घरेलु या पारिवारिक समस्याओं से निजात पाने के लिए, पंडित जी को जन्मपत्री दिखाने और पूछ आदि के लिए भी आते हैं. गत ५-६ वर्ष पूर्व की याद ताज़ा हो आई !

आभार !

aarkay on 16 जुलाई 2011 को 9:27 pm बजे ने कहा…

I am not able to post my comments on your blog . It simply does not come through ! What am I to do ?

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