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शुक्रवार, जुलाई 24, 2009

धैर्य

सरदार वल्लभभाई पटेल से हम सभी परिचित हैं। देश की आजादी की लड़ाई और उसके बाद यहां की अलग-अलग रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने को लेकर उनके अमूल्य योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनके जीवन से जुड़ा एक किस्सा है। सरदार पटेल फौजदारी के वकील थे। उनका सिद्धांत था कि निर्दोष अभियुक्त को हर कीमत पर बचाया जाए। वे कोई भी केस हाथ में लेने से पहले उसका सूक्ष्म अध्ययन करते। जब उन्हें पूरा विश्वास हो जाता कि अभियुक्त निर्दोष है, तभी वे उसका मुकदमा लड़ने को तैयार होते। एक बार वे किसी फौजदारी केस की पैरवी कर रहे थे। मामला संगीन था। तनिक भी असावधानी से अभियुक्त को फांसी हो सकती थी। उसी समय किसी व्यक्ति ने उनके नाम का तार लाकर उनके हाथों में थमा दिया। उन्होंने जल्दी से तार पढ़ा और जेब में रखकर पुन: पैरवी करने लगे। अदालत का वक्त खत्म होने के बाद वे हड़बड़ी में बाहर निकले। यह देख उनके एक साथी वकील ने उद्विग्नता का कारण जानना चाहा। सरदार पटेल बोले - मेरी पत्नी का स्वर्गवास हो गया है। तार उसी बारे में था। साथी वकील बोला - कमाल है! इतना बड़ा हादसा हो गया और आप बहस करते रहे। तब पटेल बोले - मेरी पत्नी तो जा ही चुकी थी। क्या उसके पीछे उस निर्दोष अभियुक्त को भी फांसी पर चढ़ने के लिए छोड़ देता? सरदार पटेल की यह कत्र्तव्यनिष्ठा संकेत करती है कि बड़े से बड़े संकट में भी व्यक्ति को अपने कत्र्तव्य पालन से पीछे नहीं हटना चाहिए। कत्र्तव्यशीलता धैर्य को जन्म देती है और यही धैर्य विपत्तियों से लड़ने का साहस देता है।


8 Reviews:

संगीता पुरी on 24 जुलाई 2009 को 7:38 pm बजे ने कहा…

बहुत सही .. र्धर्य ही विपत्तियों से लडने का साहस देता है !!

ओम आर्य on 24 जुलाई 2009 को 7:41 pm बजे ने कहा…

bahut hi sahi hai dhairya bipatiyo me himmat badhata hai ........bahut hi sundar......

Udan Tashtari on 24 जुलाई 2009 को 7:48 pm बजे ने कहा…

प्रेरक प्रसंग!!

अमिताभ मीत on 24 जुलाई 2009 को 8:31 pm बजे ने कहा…

Ultimate Boss !! Could one ever achieve this ? It's ultimate to the point of being absurd. But that's perhaps why HE IS THE "LAUH PURUSH"

Unknown on 24 जुलाई 2009 को 11:21 pm बजे ने कहा…

prernaaspad kissa
waah
aabhaar !

Science Bloggers Association on 25 जुलाई 2009 को 5:53 pm बजे ने कहा…

प्रेरक रचना।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Yashwant R. B. Mathur on 16 फ़रवरी 2013 को 3:40 pm बजे ने कहा…


दिनांक 17 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

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पत्थर का गुण.....हलचल का रविवारीय विशेषांक.......रचनाकार संगीता स्वरूप जी

Asha Lata Saxena on 17 फ़रवरी 2013 को 6:45 am बजे ने कहा…

बहुत सार्थक कथा है |
आशा

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