रविवार, जून 28, 2009
डाकू का हृदय परिवर्तन
परम विरक्त उड़िया बाबा के दर्शन और सत्संग के लिए प्रतिदिन असंख्य श्रद्धालुजन आया करते थे ! वे प्रत्येक व्यक्ति को अपने दुर्व्यसनों को त्यागकर सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दिया करते थे ! उनका कहना था की जब तक दुर्गण हम पर हावी रहेंगे तब तक न भगवन की कृपा प्राप्त होगी और न ही सुख शांति की अनुभूति होगी !
एक बार बाबा उतर प्रदेश में करणवास गंगा तट पर एक झोपडी में ठहरे हुए थे ! उस क्षेत्र में एक कुख्यात डाकू का आतंक था ! उसने उड़िया बाबा की ख्याति सुन राखी थी उसे पता चला तो उसने पेड़ के सहारे बन्दूक टिकाई तथा झोपडी में जा पहुंचा ! बाबा को उसने अपना परिचय देते हुए बोला, मैं डाका डालने जा रहा हूँ ! यह मेरा पुराना पेशा है , कल्याण का कोई उपाय बताओ बाबा !
बाबा ने कहा एक बात मन लो कभी किसी स्त्री का अपमान या उत्पीडन न करना ! तमाम स्त्रियों में अपनी माँ के दर्शन करना ! डाकू ने कहा , बाबा एसा ही होगा !
एक बार डाकू सरदार साथियों के साथ एक जमीदार के घर डाका डालने जा पहुंचा ! डाका दल कर वह लोटने लगा तो उसने देखा की उसके दो साथी एक लड़की को उठा कर पीछे पीछे आ रहे है और लड़की बचाने की गुहार लगा रही है ! सरदार ने गुसे में कहा किसी भी स्त्री को हाथ लगाया तो गोली मार दूंगा ! उसने ससम्मान लड़की को वापिस भिजवाया ! उस रात वह सो नही पाया ! बाबा के उपदेश यद् आते ही उसने संकल्प लिया की भविष्य में किसी को नहीं लूटूंगा ! उसका हृदय परिवर्तन हो गया बाबा का भक्त बन गया !
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3 Reviews:
bahut khoob
waah....kya baat hai !
aaj pehli baar aapka blog visit kiya aur home page par itna achcha blog padh kar man prasann ho gaya..Dhanyavaad
ab to aana jaana laga hi rahega..
अगर सत्य घटना है तो क्या बात है।
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