google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : बुद्ध को भिक्षा

शनिवार, मई 02, 2009

बुद्ध को भिक्षा


भगवान् बुद्ध लंबे अरसे के बाद सदाचार धरम का प्रचार करते हुए कपिलवस्तु पधारे ! उन्हें भली भाँती स्मरण था की यशोधरा के अनूठे त्याग के बिना वह इस स्थिति में नहीं पहुँच सकते थे ! यशोधरा के प्रति एक बार वह कृत्यागता ज्ञापन करना चाहते थे ! इसलिए वह महल में भिक्षा लेने जा पहुंचे !
समाचार मिलते ही यशोधरा खुशी खुशी उनके दर्शनों के लिए जा पहुँची दोनों आमने सामने भावः विह्वल खड़े थे ! भगवान् बुध बोले यशोधरा आज मैं भिक्षा लेने तुम्हारे द्वार पर आया हूँ ! क्या तुम मुझे भिक्षा दोगी ?
यशोधरा ने कहा आपके गृह त्याग के बाद भला मेरे पास और क्या रह गया है ! कुछ क्षण विचार मगन होने के बाद उन्होंने कहा भगवान् मैं भिक्षा मैं जो भी दूंगी क्या आप उसे स्वीकार करेंगे ? भगवान् बुध ने कहा भिक्षु धर्म की मर्यादा का उलंघन नहीं होगा तो अवश्य स्वीकार कर लूंगा !
यशोधरा ने पुत्र राहुल को पुकारा आने के बाद वह बोली राहुल को भी अपनी पितृ परम्परा निभाने लिए अवसर दीजिये ! उन्होंने राहुल से कहा पुत्र पितृ परम्परा का अनुसरण करो बुध की शरण में जा कर अपना जीवन सार्थक करो ! यशोधराऔर बुध के संस्कारी पुत्र राहुल ने बुध के चरण स्पर्श किए और वह उनका शिष्य बन कर साथ चल दिया !

1 Reviews:

alka mishra on 6 मई 2009 को 9:38 pm बजे ने कहा…

माननीय रोशन जी ,मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए धन्यवाद आपका यह महात्मा बुद्ध का लेख मुझे बचपन में पढी हुई वह कविता याद दिला गया --माँ कह एक कहानी .......आपको साधुवाद !

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