हिमाचल प्रदेश की प्रतिनिधि लघुकथाएं। बत्तीस रचनाकारों की एक सौ चौव्वन लघुकथाएं। सुदर्शन वशिष्ठ जी का कुशल और अनुभवी सम्पादन पुस्तक की उपयोगिता को बढ़ा देता है। सभी लघुकथाएं एक से बढ़ कर एक है। इन लघुकथाओं से गुजरते हुए मुझे ममता, व्यवस्था के प्रति आक्रोश, सामाजिक असमानता के लिए चिंता, परिवार में मानवीय दृष्टिकोण , टूटती मान्यताएं दिखीं। सभी रचनाकारों की रचनाएं प्रभावित करती है।
आशा शैली की स्वेटर प्रतिकूल परिस्तिथियों में भी ममता की अदृश्य भावना को महत्वपूर्णता से दर्शाती है। रतन चंद रत्नेश की लघु कथा गोल्ड मेडल एक प्रश्न हमारे सामने रख देती है। डॉ प्रत्यूष गुलेरी की आँख व्यवस्था पर चोट करती है। रत्न चंद निर्झर पलटन असमान व्यवस्था को दर्शाती है।श्रीनिवास जोशी शेर का शिकार में जुगाड़ तंत्र का दर्शन करवाते है।
गंगा राम राजी पैग का इलाज के माध्यम से जीवन में अनुशासन के प्रति संकेत देते है।
आचार्य भगवान देव चैतन्य दायित्व में अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार रहने की सीख देते है।तारा नेगी मां के माध्यम से ममत्व का बोध करवाती है।कमल प्यासा कूड़े वाला के माध्यम से समाज में असमानता का दर्शन करवाते है। कृष्ण चंद महादेविया बस और नहीं के जरिए समाजिक असमानता के विरुद्ध खड़े होने का सन्देश देती है। कुलदीप चंदेल की रिपोर्ट आपातकालीन सेवाओं की पोल खोलती है।अदित कंसल इलाज के माध्यम से परिवार में बढ़े बूढ़ों के प्रति कर्तव्य का बोध करवाते है।
प्रदीप गुप्ता की सोच व्याप्त भ्रष्टाचार की और इशारा करती है।अनिल कटोच की शिकार दोस्ती के फ़र्ज़ की ओर इशारा करती है।कुल राजीव पन्त बातें के माध्यम से समाप्त होते संस्कारों की तरफ चिंता व्यक्त करती है। अरुण गौतम की ठगी खोखले आदर्शों को दर्शाती है सुदर्शन भाटिया की वक्त की नज़ाकत कथनी और करनी की तरफ इशारा करती है।जगदीश कपूर धर्म के माध्यम से धार्मिक कट्टरता की तरफ संकेत करते है साथ ही बेड़ियों के टूटने का भी सुखद एहसास करवाती है।
देवराज डढवाल ने देश धर्म से आतंकवाद पर चिंता व्यक्त करते है।डॉ रजनी कांत अमरत्व के माध्यम से आदमी के शोहरत कमाने की लालसा पर प्रकाश डालते हैं। अशोक दर्द गुरु मंत्र से निरंतर टूटते आदर्शों की तरफ इशारा देते है। मृदुला श्रीवास्तव देवता का दोष के ज़रिए समाज मे गहरे से घर कर गई रूढ़िवादिता उजागर करती है। राजीव कुमार त्रिगर्ति मंत्री जी के पेन के माध्यम से राजनीतिक कार्य प्रणाली की जानकारी देती है। अर्चना नौटियाल मन बहुरंगी में पति पत्नी के झगड़ों में एक पत्नी की बच्चों के लिए ममता और पारिवारिक उत्तरदायित्व को दर्शाती है।
दीप्ति सारस्वत ज़हर में समाज में स्त्री शोषण को उजागर करती है।मीनाक्षी मीनू अस्तित्व की लड़ाई के माध्यम से प्रतिकूल परिस्तिथियों में स्त्री संघर्ष को बताती है।
मनोज चौहान लोक लाज में जाति व्यवस्था पर चोट करते है। अनिल शर्मा नील लड़ाई के माध्यम से वर्गों में अधिपत्य संघर्ष की कहानी कहते है। डॉ सीमा शर्मा तमाचा में एक पुत्र के अंतद्वद्व और कर्तव्य की रचना करती है। सौरभ ज्ञानी के माध्यम से अवसरवादिता का दर्शन करवातें है। सुदर्शन वशिष्ठ जी पिता का घर के माध्यम से खोखले होते जा रहे रिश्तों को बताते है।
एक सौ साठ पृष्ठों का ये संकलन संग्रहणीय और पठनीय है। के एल पचौरी प्रकाशन गाज़ियाबाद से प्रकाशित हिमाचल प्रदेश की प्रतिनिधि लघुकथाएं फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है ।