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सोमवार, जून 08, 2009

महिला सांसद तो "वाह भाई वाह"

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आजके एक दैनिक अखवार आपका फैसला में एक गैर कल्याणकारी संस्था के हवाले से उपरोक्त शीर्षक से खबर छपी ! ख़बर कभी रोचक थी !
भारतीय महिला सांसद अपने पुरूष सहकर्मियों की तुलना में अधिक शिक्षित है ! आयर उनके चुनाव में विजयी होने की संभावना भी पुरुषों से अधिक है ! एक नए अध्ययन के अनुसार पुरुषों की तुलना अधिक महिला सांसद परास्नातक डिग्रीधारक है ! संसदीय शोध को समर्पित एक गैर लाभकारी संस्था पी आर एस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अध्ययन के अनुसार १५ वीं लोक सभा की ५९ महिला सांसदों ३२ प्रतिशत परास्नातक और शोध डिग्रीधारक है जबकि पुरूष सांसदों में यह प्रतिशत ३० है ! चुनाव में उमीदवार बनी १० प्रतिशत महिलाएं विजयी हुई वहीं केवल ६ प्रतिशत पुरूष विजयी हुए ! अध्ययन के अनुसार इस बार लोक सभा में सबसे अधिक महिलाएं चुन कर आई है और ५४५ सदस्यों मेंउनका1१ है ! राज्य सभा में १० प्रतिशत और राज्यों की विधान सभाओं में महिलाओं की संख्या ७ प्रतिशत है ! सबसे अधिक महत्वपूरण तथ्य यह है की २९ प्रतिशत महिला सांसदों की संख्या ४० वर्ष से कम है ! यह प्रतिशत पिच्छाली लोक सभा से काफी बेहतर है ! जिसमे १७ प्रतिशत महिला सांसदों ४० वर्ष से कम उमर की थी ! सभी ५९ महिला सांसदों की औसत आयु ४७ वर्ष है जो पुरूष सांसदों की औसत आयु ५४ वर्ष से काफी कम है ! किसी भी महिला सांसदों की उमर ७० वर्ष से अधिक नहीं है ! जबकि ७ पुरूष सांसदों ७० वर्ष से अधिक उमर के है ! पी आर एस के अनुसार ४० से ६० वर्ष के आयु समूह के बीच की महिला सांसदों का प्रतिशत इस बार काफी कम हुआ है ! वर्ष २००४ में इस समूह की महिला सांसदों का प्रतिशत ७३ था जो इस बार घट कर केवल ५७ प्रतिशत रह गया है परन्तु जहाँ १४ वि लोक सभा में ६० वर्ष से अधिक की महिला सांसदों का प्रतिशत ९.८ था वहीं इस बार यह बढ़ कर १३.८ प्रतिशत हो गया है !
आपको नहीं लगता की यह ख़बर सामाजिक चेतना का परिचायक है !

सोमवार, जून 01, 2009

नस्लवाद

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भारतीय छात्रों पर ओस्ट्रेलिया में हमले और नस्लीय व्यवहार की लगातार बढाती घटनायों पर सिवा इसके क्या कहा जाये की वैश्विक मंदी के दोर में अपने रोज़गार और संसाधनों की चिंता में डूबे विकसित मुल्क उन हथकंडों की तरफ बढ़ रहे है जो अंतत सबसे ज्यादा नुकसान उन्ही का करेगे ! हाल तक भारतीय छात्र उच्च और पेशेवर शिक्षा लेने ओस्ट्रेलिया को एक सुरक्षित देश मानते रहे है ! परन्तु इसी वर्ष मेलबोर्न के आस पास भारतीय छात्रों को निशाने पर लिया जा रहा है ! अब यह साफ है की छात्र उच्च शिक्षा तथा रोज़गार के लिए सोच विचार के बाद ही ओस्ट्रेलिया जाने का विचार करेंगे ! भारत सर्कार ने इन घटनाओं पर निंदा व्यक्त की है ! परन्तु वहा की सरकार और पुलिस का कार्य संतुष्ठी नहीं देता है ! पुलिस का कहना की हर जगह पर सुरक्षा नहीं दी जा सकती दुर्भाग्य पूर्ण है ! ओस्ट्रेलिया को भारतीय विद्यार्थियों से आर्थिक लाभ तो होता ही है और वहा की सरकार को बाहरी छात्रों की सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए ! तभी अभिभावक अपने बच्चों को बाहर भेजेगे ! ओस्ट्रेलिया ही नहीं अपितु अन्य देश भी शिक्षा शिविर लगा कर सुविधाओं और सुरक्षा का प्रचार तो करते है परन्तु हिंसक घटनाओं पर चुपी साध लेते है !
यदि भारत सरकार विदेशों जेसी सुविधाएँ भारत में ही देना शुरू कर दे और भारतीय शिक्षा संस्थानों को आधुनिक बना दे तो अभिभावकों को अपने बच्चों को बाहर देशों में नहीं भेजना पढेगा ! विदेशों में खर्च होने वाला पैसा भी भारत में ही रहेगा ! भारत प्राचीन समय से विश्व गुरु रहा है परन्तु आधुनिकता की यात्रा में हमारा पश्चमी कर्ण होता जा रहा है ! हमें अपनी संस्कृति और शिक्षा प्रणाली पर गर्व होना चाहिए ! और विश्व को दिखा देना चगिये की हम अपने ही संसाधनों के पर पर दुनिया को जीत सकते है !

शनिवार, मई 30, 2009

भूल

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यदि मनुष्य कुछ सीखना चाहे तो उसकी भूल कुछ न कुछ सिखा देती है
अनाम

बुधवार, अप्रैल 29, 2009

हिंदी का विकास

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यदि अन्तराष्ट्रीय आधार पर देखें तो जितना हिंदी का विकास हमारे देश में नहीं हुआ उससे कहीं अधिक विदेशों में हुआ है ! विकास के तरीके अलग अलग है ! विश्व में हिंदी क्षेत्र एक विशाल उपभोक्ता क्षेत्र है ! भू मंडलीय करण के साथ साथ भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का आगमन हुआ इसी के साथ हिंदी को नए आयाम मिले ! वेसे भी हिंदी दुनिया की सबसे सरल भाषा है क्योंकि जेसी वह बोली जाती है वेसी ही लिखी जाती है ! दुनिया की दूसरी भाषाओँ में यह बात नहीं है ! ज्यों ज्यों हिंदी भाषा का विकास होता जा रहा है यह विश्व की भाषा बनती जा रही है ! विदेशों में हिंदी के प्रति लोगों की रूचि बड़ रही है ! कंप्यूटर के माध्यम से हिंदी का विकास हो रहा है ! प्रोध्योकी में विशेषज्ञ काम कर रहे है ! हिंदी में आज वो सभी सॉफ्टवेर उपलब्ध है जो पहले अंग्रेजी में ही होते थे ! आज कल इन्टरनेट के माध्यम से हिंदी के समाचार पत्रों का अवलोकन किया जा रहा है ! हिंदी में अनेक ब्लोग्स लिखे जा रहे है विभिन् वेबसाइट्स हिंदी में ही उपलब्ध है ! आज हिंदी संसार में सबसे अधिक बोली जाती है ! इसलिए हिंदी को विश्व भाषा कहना गलत ना होगा पिच्छले सालों में हिंदी ने महत्वपूरण पहचान बनाई है ! हिंदी की यात्रा फिजी से ले कर केरेबियाई देशों तक फेली है ! हिंदी को केवल साहित्य काव्य या कहानी में बंधना गलत होगा ! हिंदी का विकास जन चेतना के आधार पर हुआ है और आगे भी होता रहेगा ! उम्मीद है की हमारी मातृ भाषा मात्र भाषा नहीं होगी !
 
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