अम्मा
बुनती
है रंग बिरंगी गेंदें ,
वो
जानती है
पहाड़
की तलहटी में
सर्दियों
के मौसम में
खेल
होगा
और
जुटेंगे
अनगिनत लोग,
अम्मा
ने देखा नहीं है
सर्दियों
के मौसम का ये खेल
उसकी
आँखों ने देखे है
अपनों
के साथ
अपनों
का ही खेल,
वो
बुनती है गेंदें चुपचाप
गेंदें
रंग बिरंगी
तलहटी
में उस खेल के लिए ।
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