शिमला
मैं तुम्हे याद करता हूँ। बचपन यही तो बिता है। मटरगश्ती भी तो यही की है। ढली उस समय मिडल स्कूल होता था। मशोबरा से दसवीं पास करने के बाद संजौली कॉलेज में दाखिला लिया तो मानो आसमान मिल गया। कक्षाएं लगाने के बाद रिज पर जाना लोगो को देखना गप्पे लगाना हमेशा याद आता है। संजौली में कलकत्ता टी स्टॉल के परांठे हमेशा याद आते है। हाँ खाली समय मे सेंट बीड्स की तरफ चक्कर लगाना भी याद है।
स्नातक
होने के बाद विश्वविद्यालय में प्रवेश ने नए आयाम दिए। कभी कभी ढली से समरहिल तक
पैदल पहुंचना याद है। रिज पर लवीना में सॉफ्टी का आनंद मैं कभी नहीं भूल सकता और
रिज पर पर बढ़े पेड़ के नीचे बैठे भाई से मूंगफली खाना मेरी स्मृतियों में है।
कभी
सोचता था यहीं जीवन बीत जाएगा। गोष्ठियां होंगी कविताएं सुनाऊंगा कविताएं सुनूंगा।
ईश्वर आपके
लिए क्या सोचता है कोई नहीं जानता।
ये फोर
लेन कहां से आ गया विस्तफीत कर दिया ऐसा कभी सोचा नहीं था। फोरलेन तुम्हे मैं कभी
माफ नहीं करूंगा । तुमने मेरे आत्मीयों को मुझ से छीना है और मुझे अकेला किया है।
मैं ये
किस शहर में आ गया हूँ। यहां तो मैं अकेला हो गया हूँ ।
जब
शिमला तुम मुझे बुलाते हो मैं अपने को रोक नहीं पता हूँ। गेयटी में हिमालयन मंच का
आयोजन हो या कीकली या फिर भाषा विभाग का आयोजन। हिमालयन मंच तो काफी बाद में बना
ये तरुण संगम होता था और ग्रेंड होटल के सभागार में आयोजन होते थे।
इसी
समय कालीबाड़ी के रास्ते में गोलगप्पों का आनंद उठाते थे। वो जो काली बॉडी के पास
गोलगप्पों वाला है उसका ज़ायका अलग था अगली बार समय मिला तो जरूर उससे मिलूंगा। अब
वही है या नहीं मालूम नहीं ।
रेडियो
और दूरदर्शन तक मुझे भूल गए है। उनसे कोई शिकायत नहीं। कुछ लोग समय के साथ बदल
जाते है।
ये सब
न लिखता अगर कीकली ने बच्चों के कार्यक्रम में न बुलाया होता।
मुझे
हिमालयन मंच के आमन्त्रण का इंतज़ार रहता है। ये इसलिए की मेरे लेखन की शुरुआत में
इसका बहुत बड़ा हाथ है। बाकी भाषा विभाग और अकादमी तो मुझे कभी याद करता ही नहीं।
उनकी सूची में मैं हूँ ही नहीं।
कभी
सोचा नहीं था जीवन के अंतिम पड़ाव मैं इस शहर सोलन आ जाऊंगा। लेकिन तुमसे शिकायत है
तुम बहुधा पूर्वाग्रह में आ जाते हो। ये पूर्वाग्रह ये दल बंधी मुझे बिल्कुल पसंद
नहीं। इस बारे कभी किसी दिन और बात करूँगा।
शिमला
मैं कुछ नहीं भुला हूँ क्या तुम्हे कुछ याद है। शिमला मैं तुम्हे बहुत याद करता
हूँ। परंतु तुम तो मुझे भूल गए हो....।
तस्वीर साभार नमन पांडेय
0 Reviews:
एक टिप्पणी भेजें
" आधारशिला " के पाठक और टिप्पणीकार के रूप में आपका स्वागत है ! आपके सुझाव और स्नेहाशिर्वाद से मुझे प्रोत्साहन मिलता है ! एक बार पुन: आपका आभार !