ये रात
बेहद भयावहीँ है,
मुहल्ले में सन्नाटा क्यों है,
शहर के
सभी कुत्ते सौ गए है,
अब वो भोकते नहीं,
वो जान गए
भोंकना अब अर्थहीन है
अब
आदमी भोंकता है
बेहद शांति से
और खामोशी से।
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