google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : जात गाली हो गई

गुरुवार, फ़रवरी 22, 2018

जात गाली हो गई

जात अब  जात नहीं रही गाली हो गई 
गरीब की जोरू सबकी साली हो गई है।
जिसे भी देखिए उगल देता है बहुत कुछ 
रिश्‍ते नाते जिन्‍दगी सवाली हो गई है।

आप क्‍या सोचते हो भला कर रहे हो
सेवाभाव मदद की बातें मवाली हो गई है।

रूतबा पद सम्‍मान सब बेकार की हैं बातें 
पल पल अब सांसो की रखवाली हो गई है।

दर्द है वेदना और जलालत है 
झूठे सब , मुस्कुराहटें जाली हो गई है।

बच कर रहना जनाब ये अजब शहर है
इश्‍क मुहब्‍बत पुरानी कव्‍वाली हो गई है।

मुस्‍कुरा रहे हो ग़ज़ल कोई पुरानी पढ़ कर
विक्षिप्‍त की बातें जनाब निराली हो गई है।

1 Reviews:

दिगम्बर नासवा on 26 फ़रवरी 2018 को 4:59 pm बजे ने कहा…

जात गाली हो जाए तो अच्छा ही है ... देश एक तो हो जाएगा ... अच्छा लिखा है बहुत ....

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