अस्पताल
क्या अजब जगह है
बिखरी पड़ी है
वेदना दुःख दर्द
जीवन मृत्यु के प्रश्न
इसी अस्पताल के
किसी वार्ड के बिस्तर पर
तड़फती रहती है
जिजीविषा
दवाइयों
और सिरंज में
ढूंढती रहती है जीवन
समीप के बिस्तर से
गुम होती साँसों को देख
सोचती है
जिजिबिषा
कल का सूरज
कैसा होगा .......
क्या अजब जगह है
बिखरी पड़ी है
वेदना दुःख दर्द
जीवन मृत्यु के प्रश्न
इसी अस्पताल के
किसी वार्ड के बिस्तर पर
तड़फती रहती है
जिजीविषा
दवाइयों
और सिरंज में
ढूंढती रहती है जीवन
समीप के बिस्तर से
गुम होती साँसों को देख
सोचती है
जिजिबिषा
कल का सूरज
कैसा होगा .......
1 Reviews:
आप की लिखी ये रचना....
11/10/2015 को लिंक की जाएगी...
http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर....
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित हैं...
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