श्रीखण्ड सेवा दल और स्थानीय प्रशासन ने वर्ष 2011 में श्रीखण्ड यात्रा की तिथि की घोषणा कर दी है। सभी शिव भक्तजनों को यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता होगी कि हर साल की भांति इस वर्ष भी 16वीं बार श्रीखण्ड महादेव कैलाश यात्रा 15 जुलाई 2011 (श्रावण संक्रांति) से शुरू होने जा रही है और श्रीखण्ड सेवादल के तत्वावधान में यह यात्रा 23 जुलाई 2011 तक चलेगी। इस अवधि में 15 से 22 जुलाई तक श्रीखण्ड सेवादल द्वारा सिंहगाड से प्रतिदिन प्रातः 5 बजे यात्रा के लिए विधिवत जत्था रवाना किया जाएगा।
यह स्थान समुद्रतल से लगभग 18000 फुट(5155 मीटर) की ऊंचाई पर है जिस कारण यहां मौसम ठण्डा रहता है। अतः यात्रियों से अनुरोध है कि अपने साथ, गर्म कपड़े, कम्बल, छाता, बरसाती व टार्च साथ लाएं। इस यात्रा की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ व प्लास्टिक के लिफाफे साथ न लाएं। यात्रियों से निवेदन है कि पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर ही इस यात्रा में भाग लें। श्रीखण्ड सेवादल कोई सरकारी सहायता प्राप्त संस्था नहीं है, सारा आयोजन सदस्यों के सहयोग से किया जाता है।आप रामपुर बुशहर (शिमला से 130 किलोमीटर) से 35 किलोमीटर की दूरी पर बागीपुल या अरसू सड़क मार्ग से पहुँच सकते हैं। बागीपुल से 7 किलोमीटर जाँव तक गाड़ी से पहुँचा जा सकता है। जाँव से आगे की यात्रा पैदल होती है। यात्रा के तीन पड़ाव सिंहगाड़ , थाचडू और भीम डवार है। जाँव से सिंहगाड़ तीन किलोमीटर, सिंहगाड़ से थाचडू आठ किलोमीटर की दूरी और थाचडू से भीम डवार नौ किलोमीटर की दूरी पर है। यात्रा के तीनों पड़ाव में श्रीखण्ड सेवादल की ओर से यात्रियों की सेवा में लंगर (निशुल्क भोजन व्यवस्था ) दिन रात चलाया जाता है। भीम डवार से श्रीखण्ड कैलाश दर्शन सात किलोमीटर की दूरी पर है तथा दर्शन उपरांत भीम डवार या थाचडू वापिस आना अनिवार्य होता है।
श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान भक्त जन निरमंड क्षेत्र के कई दर्शनीय स्थलों का भ्रमण भी कर सकते हैं। इस क्षेत्र के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं-
प्राकृतिक शिव गुफा देव ढांक, प्राचीन एवं पौराणिक परशुराम मन्दिर, दक्षिणेश्वर महादेव व अम्बिका माता मन्दिर निरमंड, संकटमोचन हनुमान मन्दिर अरसू, गौरा मन्दिर जाँव, सिंह गाड, ब्राह्टी नाला, थाच्डू, जोगनी जोत, काली घाटी, ढांक डवार, कुनशा, भीम डवार, बकासुर वध, दुर्लभ फूलों की घाटी पार्वती बाग़, माँ पार्वती की तपस्थली नैन सरोवर, महाभारत कालीन विशाल शिलालेख भीम बही।
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