google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : ध्यान

शनिवार, मई 15, 2010

ध्यान

मेडिटेशन यानी ध्यान के लिए यूं तो कोई बंधा  नहीं है लेकिन फिर भी श्रेष्ठ परिणाम के लिए समय तय किया जाए तो बेहतर होता है। ध्यान के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है शांति और एकाग्रता। ये दोनों जब सुलभ हों, वह समय ध्यान के लिए सबसे अच्छा होता है। योगी के लिए समय का कोई बंधन नहीं है किंतु नए साधक (अभ्यासकर्ता) के लिए समय की मर्यादा तय की गई है। यह अभ्यास को मजबूत करने के लिए है। निश्चित समय पर ध्यान का अभ्यास करने से न सिर्फ संकल्प शक्ति दृढ़ होती है बल्कि सफलता भी आसान होती है। 
ध्यान के लिए प्रात:, मध्याह्न्, सायं और मध्यरात्रि का समय उचित बताया गया है। इन्हें संधिकाल कहते हैं। संधिकाल यानी जब दो प्रहर मिलते हैं। जैसे प्रात:काल में रात्रि और सूर्योदय, मध्याह्न् में सुबह और दोपहर मिलती है। सबसे उत्तम समय ब्रह्म  मुहूर्त (सूर्योदय से पहले का समय) का है। मान्यता है इस समय ध्यान करने से विशेष लाभ मिलता है। कारण कि रात में नींद पूरी होने से हमारे मन के विकार भी शांत हो चुके होते हैं। नींद से जागते ही ध्यान में बैठने से एकाग्रता बनती है

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