google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : हबीब तनवीर का जाना

मंगलवार, जून 09, 2009

हबीब तनवीर का जाना


हबीब तनवीर का जाना एक युग का जाना है ! हबीब हर रोज़ पैदा नहीं होते ! हबीब शताब्दियों में एक बार पैदा होते है ! तनवीर साहाब का शिमला से भी प्रगाढ़ प्रेम था !शिमला. नाटक के जनक हबीब तनवीर की कला का शिमला गेयटी थियेतर भी गवाह रहा है। छत्तीसगढ़ से पूरी टीम को साथ लेकर आए हबीब ने 1987 में मशहूर नाटक ‘चरण दास चोर’ का गेयटी थियेटर में मंचन किया था। रंगमंच के अर्श पर हमेशा चमकते रहे इस क़लाकार ने पहाड़ में भी अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी। नाटक ‘चरण दास चोर’ की टीम एक बार अपने लीडर के बिना भी शिमला आई थी। शिमला के रंगकर्मी कहते हैं कि हबीब तनवीर हिल्स क्वीन में एक बार तो नाटक के मंचन के लिए आए थे, इसके बाद राष्ट्रीय नाटक अकादमी के अध्यक्ष देवराज अंकुर के बुलावे पर भी शिमला आए थे।उस समय हबीब के नाटक ‘आगरा बाजार’ का कालीबाड़ी हाल में मंचन किया गया था। उन्होंने बताया कि वह शिमला की खूबसूरती के कायल थे और यहां आने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। उस जमाने में कला के क्षेत्र में कदम रखने वाले रंगकर्मी बीते दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि ‘वो भारी भरकम आवाज मंच के हर पल को जीवंत करती थी’।


शिमला की नाट्य संस्था कला किरण ने तनवीर साहब को श्रधान्जली देने के लिए प्रेम चंद की कहानी बढे भाई साहब का मंचन किया यह मंचन शिमला स्तिथ केन्द्रीय आलू अनुसन्धान बेम्लोई में किया गया !

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