हिमप्रस्थ के जनवरी 2011 के अंक में डा0 अम्बिका घेजटा का लेख सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं में ग्रामिण बोध की अभिव्यक्ति पठनीय लेख है। इसके अतिरिक्त प्रो0 डा0 यशवंतकर संतोष कुमार का लेख भारतीय समाजशास्त्र संग्रहीय लेख है। अन्य लेख में सुदर्शन वशिष्ठ, राजेन्द्र राजन, आंकाक्षा यादव, सीता राम गुप्ता, जितेन्द्र कुमार, डा0 शशि भूषण, सत्यनारायण भटनागर, और बी0डी0 शर्मा के आलेख महत्वपूर्ण है। डा0 मदन मोहन वर्मा की कहानी स्वतंत्र है अब हम प्रभावित करती है। अन्य कहानियों में डा0 लीला मोदी और साधु राम दर्शक की कहानियां पठनीय है। इस अंक में डा0 सुरेश उजाला और अंकुश्री की लघुकथाओं के साथ साथ राम नारायण हलधर, राजीव कुमार त्रिगर्ती, महेन्द्र सिंह शेखावत उत्साही, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, ज्ञान चन्द शर्मा, डा0 जगदीश चन्द्र शर्मा और शंकर सुल्तानपुरी की कवितायें पठनीय है। सुरेश आनन्द का व्यंग्य सुबह का भविष्यफल पठनीय है। हिमप्रस्थ के इस अंक में डा0 रमेश सोबती ने सुकृति भठनागर के काव्य संग्रह अनुगूंज और डा0 जगन सिंह ने डा0 अरूण कुमार की पुस्तक पालिटिकल मार्केटिंग इन इण्डिया की समीक्षा प्रस्तुत की है।
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