हार जाता है
आदमी कभी
स्वयं से ही,
उठता है
फिर दौड़ता है
एक नई
पराजय के लिए।
आदमी कभी
स्वयं से ही,
उठता है
फिर दौड़ता है
एक नई
पराजय के लिए।
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5 Reviews:
बहुत ही उम्दा लिखावट ,बहुत आसान भाषा में समझा देती है आपकी ये ब्लॉग धनयवाद इसी तरह लिखते रहिये और हमे सही और सटीक जानकारी देते रहे ,आपका दिल से धन्यवाद् सर
Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Ankit
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बहुत ही सुंदर लिखा है आप मेरी रचना भी पढना
I just stumbled over this page and have to say - wow. The site is really good and kept up to date.
आप यहाँ बकाया दिशा-निर्देश दे रहे हैं। मैंने इस क्षेत्र के बारे में एक खोज की और पहचाना कि बहुत संभावना है कि बहुमत आपके वेब पेज से सहमत होगा।
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