कैसी लोहड़ी कैसा उत्सव
गुम अपने और चुप है सब
लोहड़ी गाना और मांगना लोहड़ी
किस्से कहानियों की बात है अब
गुम अपने और चुप है सब
लोहड़ी गाना और मांगना लोहड़ी
किस्से कहानियों की बात है अब
अपने अपने दड़बों में दुबके हैं
अपनी बात अपनी सौगात है अब
अपनी बात अपनी सौगात है अब
1 Reviews:
सही है ... आज हर बात को बजारवाद की नज़र से देखा जाता है बस ... असल मक़सद जब खो जाते हैं तो त्योहार का महत्व भी ख़त्म सा हो जाता है ...
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