मनुष्य
हार भी तो जाता है
सब कुछ जीतने के बावजूद ,
मनुष्य
हार ही तो जाता है
खामोशी से
पराजय स्वीकारने के बावजूद ,
मनुष्य
हार जाता है
जीजीविषा की
इ्च्छा होने के बावजूद ,
मनुष्य को
हार ही जाना होता है
हलाहल पीने के बावजूद ।
6 Reviews:
जय मां हाटेशवरी....
आप ने लिखा...
कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
दिनांक 16/12/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की जा रही है...
इस हलचल में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
कुलदीप ठाकुर...
जय मां हाटेशवरी....
आप ने लिखा...
कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
दिनांक 16/12/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
पांच लिंकों का आनंद
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इस हलचल में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
कुलदीप ठाकुर...
बहुत खूब....
बहुत सही व सत्य लिखा है
क्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
@PBCHATURVEDI प्रसन्नवदन चतुर्वेदीअाभार मित्र आपने प्रोत्साहित किया
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