google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : यह क्‍या हो रहा ?

सोमवार, दिसंबर 13, 2010

यह क्‍या हो रहा ?

यह क्‍या हो रहा है आज सामान लेने बाजार गया तो दुकानदार ने दस का यह नोट दिखाया जिसके दोनो तरफ पूरे इत्‍मीनान के साथ चित्रकारी कर रखी थी । आप इस नोट की दुर्दशा देख कर अन्‍दाजा लगा सकते है इस चित्रकारी करने में व्‍यक्ति को कितना समय लगा होगा। अब प्रश्‍न यह है कि करंसी को खराब करने वालों पर क्‍या कार्रवाही होनी चाहिए। राष्‍ट्रीय प्रतीक चिन्‍हों को सहेजना हमारा कर्तव्‍य है तो आदमी करंसी को खराब क्‍यों करते है । नोटों पर चित्रकारी करना अपना फोन नम्‍बर या नाम लिखना क्‍या अपराध की श्रेणी में नहीं आता । शायद हम ईमानदार नहीं है तभी तो अपने राष्‍ट्रीय प्रतीकों को खराब करने में हमें आनन्‍द आता है । क्‍या हम कभी सुधरेगें भी या नहीं शायद हम नहीं सुधरेगे।

1 Reviews:

JAGDISH BALI on 15 दिसंबर 2010 को 5:31 am बजे ने कहा…

हम बिना डंडे के नहीं सुधरेंगे !

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