google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : विनम्रता

रविवार, जून 20, 2010

विनम्रता

शिक्षाविद और राजनेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1952 में भगवान बुद्ध के दो प्रधान शिष्यों सारिपुत्त और महमोग्गलामने के पवित्र भस्मावशेष लेकर म्यांमार गए थे। उसके बाद कंबोडिया के बौद्ध धर्मावलंबियों ने उन्हें अपने देश में आमंत्रित किया। कंबोडिया की राजधानी नॉमपेन्ह में आयोजित बौद्ध महासम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘भगवान बुद्ध सनातन धर्मियों द्वारा दशावतार के रूप में पूजे जाते हैं। धर्म के नाम पर प्रचलित ऊंच-नीच की कुप्रवृत्ति के उन्मूलन में उनका योगदान सराहनीय है। उनके इस ऋण से हम कभी उऋण नहीं हो सकते।’ बौद्ध धर्म व दर्शन पर उनका भाषण सुनकर सभी प्रभावित हुए। सम्मेलन में उपस्थित कंबोडिया के एक बौद्ध लामा डॉ. मुखर्जी की श्रद्धा-भावना देखकर भाव-विह्वल हो उठे। वह मुखर्जी के पास पहुंचे और यह कहकर उनके पैरों की ओर झुके कि आप हमारे भगवान बुद्ध की पावन जन्मभूमि में जन्मे हैं, इसलिए हमारे लिए श्रद्धा भाजन हैं। इस पर मुखर्जी ने उन्हें रोकते हुए कहा, ‘आप भिक्षु हैं और हमारी संस्कृति में साधु-संतों के चरण स्पर्श करने की परंपरा है।’ यह कहते-कहते वह तुरंत उनके चरणों में झुक गए। डॉ. मुखर्जी जैसे अग्रणी नेता की इस विनम्रता को देखकर सभी हतप्रभ रह गए। डॉ. मुखर्जी परम धार्मिक व्यक्ति और विनम्रता की मूर्ति थे। 23 जून, 1953 को श्रीनगर में नजरबंदी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। नजरबंदी काल में भी प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद ही वह अन्न-जल ग्रहण करते थे

1 Reviews:

Udan Tashtari on 23 जून 2010 को 9:39 am बजे ने कहा…

आभार इस आलेख के लिए.

एक टिप्पणी भेजें

" आधारशिला " के पाठक और टिप्पणीकार के रूप में आपका स्वागत है ! आपके सुझाव और स्नेहाशिर्वाद से मुझे प्रोत्साहन मिलता है ! एक बार पुन: आपका आभार !

 
ब्लोगवाणी ! INDIBLOGGER ! BLOGCATALOG ! हिंदी लोक ! NetworkedBlogs ! हिमधारा ! ऐसी वाणी बोलिए ! ब्लोगर्स ट्रिक्स !

© : आधारशिला ! THEME: Revolution Two Church theme BY : Brian Gardner Blog Skins ! POWERED BY : blogger