आदरणीय समीर जी ने पिछली पोस्ट पर टिप्प्णी में आदेश दिया की इसमें जानकारी ज्यादा होनी चाहिये अतः जो जानकारी जुटा पाया हूं वो प्रस्तुत कर रहा हूं!
शिमला ज़िला के कुमारसेन में पारंपरिक भराड़ा जागरा क्षेत्र के ईष्ट श्री कोटेश्वर महादेव के आगमन और पूजन से आरम्भ होता है! मूल निवास मंढोली से देवता जी का आगमन प्रातः होता है और लगभग तीन किलोमीटर के रास्ते में स्थानिय लोग अपनी प्राचीन परम्परा के अनुसार पूजन कर देवता जी का स्वागत करते है और देवता जी भराड़ा नामक स्थान पर पंहुचते है! भराड़ा में देव स्थान पर श्री कोटेश्वर महादेव जी का अभिनंदन किया जाता है! क्शेत्र के लोग देवता जी का दर्शन कर सुख समृद्दी की कामना करते है! इस बार यह मेला दो साल के बाद हुआ क्योंकि देवता जी पिछले वर्ष केदारनाथ की यात्रा पर गये थे! यह एक बेहद प्राचीन मेला है! यह मेला हर वर्ष ज्येष्ठ माह की संक्राति को मनाया जाता है! मेले में बाहर से व्यापारी भी अपने स्टाल लगाते है! स्थानिय प्रशासन ने मेले पर अवकाश घोषित किया था ! इसी मेले के बाद यहां के अन्य मेले हाटू मेला (नारकंडा) ( हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केन्द्रिय इस्पात मंत्री श्री वीरभद्र सिंह हमेशा हाटू मेले में अपनी उपस्थिति देते है! उनकी हाटू देवी पर अगाध श्रधा है!), तानी जुबड़(कोटगढ़), सांचा मेला(बड़ागांव), पाटी जुबड़ मेला आरम्भ होते है! ये सभी मेले धार्मिक आस्था से तो जुड़े है साथ ही दर्शनीय स्थल भी है खास कर तानी जुबड का क्षेत्र ! ये सभी स्थल शिमला से रामपुर बुशेहर के राष्ट्रीय मार्ग 22 पर स्थित है!
2 Reviews:
ब्लोगर के भावना,सद्भावना और सम्मान का अच्छा प्रयास /
बहुत बहुत आभार आपका. साधुवाद!!
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