google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : अनमोल वचन

मंगलवार, मार्च 02, 2010

अनमोल वचन

ओशो
दुःख का बोध दुःख से मुक्ति है , क्योंकि दुःख को जान कर कोई दुःख को चाह नहीं सकता और उस क्षण जब कोई चाह नहीं होती और चित वासना से विक्षुब्ध नहीं होता हम कुछ खोज नहीं रहे होते उसी क्षण उस शांत और अकंप क्षण में ही उसका अनुभव होता है जो की हमारा वास्तविक होना है !
कबीर
यदि सदगुरु मिल जाये तो जानो सब मिल गए फिर कुछ मिलना शेष नहीं रहा ! यदि सदगुरु नहीं मिले तो समझों कोई नहीं मिला क्योंकि माता पिता पुत्र और भाई तो घर  घर में होते है ! ये सांसारिक नाते सभी को सुलभ है परन्तु सदगुरु की प्राप्ति दुर्लभ है !
स्वामी रामतीर्थ
त्याग निश्चय ही आपके बल को बढ़ा देता है आपकी शक्तियों को कई गुना कर देता है आपके पराक्रम को दृढ कर देता है वाही आपको ईश्वर बना देता है ! वह आपकी चिंताएं और भय हर लेता है आप निर्भय तथा आनंदमय हो जाते हैं !

शुक्र नीति
समूचे लोक व्यव्हार की स्तिथि बिना नीतिशास्त्र के उसी प्रकार नहीं हो सकती जिस प्रकार भोजन के बिना प्राणियों के शरीर की स्तिथि नहीं रह सकती !

बेंजामिन फ्रेंकलिन
यदि कोई व्यक्ति अपने धन को ज्ञान अर्जित करने में खर्च करता है तो उससे उस ज्ञान को कोई नहीं छीन सकता ! ज्ञान के लिए किये गए निवेश में हमेशा अच्छा प्रतिफल प्राप्त होता है !



भर्तृहरी शतक
जिनके हाथ ही पात्र है भिक्षाटन से प्राप्त अन्न का निस्वादी भोजन करते है विस्तीर्ण चारों दिशाएं ही जिनके वस्त्र है पृथ्वी पर जो शयन करते है अन्तकरण की शुद्धता से जो संतुष्ट हुआ करते है और देने भावों को त्याग  कर  जन्मजात  कर्मों  को नष्ट  करते है ऐसे  ही मनुष्य  धन्य  है !

लेन कर्कलैंड
यह मत मानिये की जीत ही सब कुछ है, अधिक महत्व इस बात का है की आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत  हो ! यदि आप आदर्श पर ही नहीं डट सकते तो जीतोगे क्या ?

शेख सादी
जो नसीहतें नहीं सुनता , उसे लानत मलामत सुनने का सुक होता है !

संतवाणी
दूसरों की ख़ुशी देना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है !


ईशावास्यमिदं सर्व यत्किज्च जगत्यां जगत
भगवन इस जग के कण कण में विद्यमान है !


चाणक्य
आपदर्थे   धनं  रक्षेद दारान रक्षेद धनैरपि !
आत्मान सतत  रक्षेद  दारैरपि धनैरपि !!
विपति के समय काम आने वाले धन की रक्षा करें !धन से स्त्री की रक्षा करें और अपनी रक्षा धन और स्त्री से सदा करें !

टी एलन आर्मस्ट्रांग
विजेता उस  समय विजेता नहीं बनाते जब वे किसी प्रतियोगिता को जीतते है ! विजेता तो वे उन घंटो सप्ताहों महीनो और वर्षो में बनते  है   जब वे इसकी तयारी कर रहे होते है !

विलियम  ड्रूमंड
जो तर्क को अनसुना कर देते है वह कटर है ! जो तर्क ही नहीं कर सकते वह मुर्ख है और जो तर्क करने का साहस ही नहीं दिखा सके वह गुलाम है !
औटवे
ईमानदार के लिए किसी छदम वेश भूषा या साज श्रृंगार की आवश्यकता नहीं होती ! इसके लिए सादगी ही प्रयाप्त है !


गुरु नानक
शब्दे धरती , शब्द अकास , शब्द शब्द भया परगास !
सगली   शब्द के पाछे , नानक शब्द घटे घाट आछे !!

8 Reviews:

jayanti jain on 2 मार्च 2010 को 9:26 pm बजे ने कहा…

good collection

Udan Tashtari on 3 मार्च 2010 को 8:33 am बजे ने कहा…

आभार इस पोस्ट का!

JAGDISH BALI on 3 मार्च 2010 को 6:31 pm बजे ने कहा…

Achcha hai jassuji!

चन्द्र कुमार सोनी on 6 मार्च 2010 को 1:05 am बजे ने कहा…

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चन्द्र कुमार सोनी on 6 मार्च 2010 को 1:05 am बजे ने कहा…

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चन्द्र कुमार सोनी on 6 मार्च 2010 को 1:06 am बजे ने कहा…

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दिनेश नयाल (जिन्न) on 12 मार्च 2012 को 3:38 pm बजे ने कहा…

दुनिया में करोड़ों लोग धूम्रपान करते हैं, यघपि उनमें से कुछ ही कैंसर जैसी बिमारी का शिकार होते हैं,
एक वृद्ध व्यक्ति (80-90 वर्ष) भी अपनी पुरी जिंदगी हँसी खुशी धूम्रपान करते हुए जी जाता है और कहीं बच्चा कैंसर से मर जाता है!..मेरे मित्र ये तो प्रकृति का नियम है जिसे कोई नहीं बदल सकता ।
कहने का तात्पर्य है enjoy ur life, don't think abt death its not in our hand..
धूम्रपान न करने वाले भी मरते हैं।

H!MANK on 11 मई 2012 को 9:39 pm बजे ने कहा…

mahapurush aur sant mahatmao ke anmol vachan hriday ko shanti pradan karte hain.aapka yah prayas prashansaniy hai.dhanyawad.

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