google.com, pub-7517185034865267, DIRECT, f08c47fec0942fa0 आधारशिला : चम्बा का मिन्ज़र मेला

शुक्रवार, जुलाई 31, 2009

चम्बा का मिन्ज़र मेला

हिमाचल प्रदेश जहाँ देवी देवताओं की भूमि है वहीँ पर हिमाचल को मेलों और त्योहारों की भूमि भी कहा जाता है ! आज कल हिमाचल के चम्बा में मिन्ज़र मेला चला हुआ है ! चम्बा का मिन्ज़र मेला बेहद प्राचीन तथा संस्कृति और भातृत्व का परिचायक है ! यह मेला मक्की की फसल से जुडा हुआ है ! मक्की की फसल बाली जिसे मिन्ज़र कहा जाता है के निकलने पर मेला शुरू होता है ! इस मेले की शुरुआत दसवीं शताब्दी पूर्व हुई ! कहानी है की रावी नदी के दाईं तरफ चम्पबती मंदिर का पुजारी हरिराय मंदिर की सैर को रोज नदी में तैर कर जाता था ! एक बार लोगो ने राजा से निवेदन किया की ऐसी व्यवस्था की जाए की लोग भी आसानी से हरिराय मंदिर जा सके ! इसके लिए पुजारी ने रजा की आज्ञा से बनारस के ब्राहमणों के सहयोग से चम्पावती मंदिर में सात दिन का यज्ञ किया और नदी ने अपना रुख ही इसके बाद बदल दिया ! पुजारी ने सात रंगों की डोरी बने जिसका नाम मिन्ज़र रखा गया ! एक दूसरी कहानी के अनुसार राजा साहिल वर्मन पडोसी राज्य पर विजय हासिल कर वापस अपने राज्य लोटे तो नाल्होरा स्थान पर जनता ने मक्की की मिन्ज़रों को भेंट कर इनका स्वागत किया !
चम्बा का मिन्ज़र मेला श्रावन माह के दुसरे रविवार से एक सप्ताह तक चौगान में मनाया जाता है ! इस दोरान लक्ष्मीनारायण मंदिर में पूजा की जाती है ! कुंजडी मल्हार गायन होता है ! मिन्ज़र का विसर्जन शोभायात्रा के साथ होता है ! यह शोभायात्रा चम्बा के राजा के महल अखंड चंडी महल से शुरू होती है ! भगवन रघुवीर और अन्य देवी देवता पालकी में बेठ कर महल से बहार आ कर यात्रा में शामिल होते है ! रावी नदी में मिन्ज़र का विसर्जन किया जाता है ! मेला प्राचीन संस्कृति वैभव धार्मिक प्रेम भावः का परिचायक है ! अपने रिश्तेदारों मित्रों को फल मिठाई भेट की जाती है तथा अच्छी फसल की कमाना भी जाती है ! इन्ही उत्सवों के कारण हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं और उत्सवों की भूमि कहलाती है !

1 Reviews:

Mayur Malhar on 3 अगस्त 2009 को 4:46 pm बजे ने कहा…

sir
aapka blog bahut badhiya aur gyanvardhak hai. DEVBHOOMI ke vishay mein nai jankari prapt hui. asha hai aage bhi aisi hi jakariyan mujhe padhane milenge.
http://takeoneready.blogspot.com/

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