गुरुवार, अक्तूबर 12, 2023

मजमा

 सुना है शहर में फिर मज़मा लगने वाला है। हर साल की तरह सुदूर देश से आयेंगे व्यापारी  देंगे प्रलोभन और ठगेगे पहाड़ को। पहाड़ रोज ठगा जाता है और खामोश रहता है। 

वो जो बड़ा चौगांन है शहर के बीच वहाँ भी सजती है व्यजनों की अनेक दुकाने। पहाड़ ने देखा था मज़मा के दौरान  वहाँ गंदगी का ढेर और परोसते  दूषित व्यजन और बीमार होता पहाड़। 

बच्चे तो बाल हठ करेंगे ही और खा लेंगे उन्ही पंडालों से अनाप शनाप। 


पहाड़ को सब सहना होगा चुपचाप और शहर मस्त हो देखेगा मज़मा.......

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