शहर
तुम
कितना बदल गए हो
अक्सर
मुझे पहचानते ही नहीं
और
निकल जाते जो
बेपरवाह
एक
अजनबी की तरह
" आधारशिला " के पाठक और टिप्पणीकार के रूप में आपका स्वागत है ! आपके सुझाव और स्नेहाशिर्वाद से मुझे प्रोत्साहन मिलता है ! एक बार पुन: आपका आभार !
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