काम ठीक न चलता देख आपातकालीन बैठक का निर्णय हुआ। आनन फानन में बैठक आयोजित की गई। कमियों पर लंबे लम्बे भाषण दिए गए और दोषियों की सूची तैयार की गई। निर्देशों की सूची पारित कर बैठक ख़ास पार्टी में तब्दील हो गई और मेज पर अब प्लेटों में सजे मुर्गों की बारी थी।
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